Coup in Pakistan: पाकिस्तान में एक बार फिर सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
इस वजह से पाकिस्तानी सेना प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को हटाकर एक नई सत्ता बनाने की तैयारी में है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सेना प्रमुख अमेरिकी समर्थन से तख्तापलट कर सकते हैं।
इसके साथ ही, संसदीय प्रणाली को बदलकर राष्ट्रपति प्रणाली लागू करने की भी तैयारी हो रही है।
क्या है पूरा मामला?
पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल नया नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में आर्मी चीफ असीम मुनीर और सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो ने हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को भारत के हवाले करने की बात कही थी, जिसे सेना के विरोध के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

इसके बाद से ही सेना और सरकार के बीच मतभेद सामने आए हैं।
आसिम मुनीर को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है, जिसके चलते वह पिछले सेनाध्यक्षों की तरह सत्ता पर कब्जा कर सकते हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मुनीर चाहते हैं कि देश की रक्षा और विदेश नीति पर सेना का पूरा नियंत्रण हो।
बिलावल भुट्टो को PM और मुनीर को राष्ट्रपति बनाने की योजना
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के युवा नेता बिलावल भुट्टो को प्रधानमंत्री बनाने की योजना है।
इसके लिए PPP के नेता और वर्तमान राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को इस्तीफा देना पड़ सकता है।
जरदारी की सेहत खराब होने के कारण उनके इस्तीफे की चर्चा पहले से हो रही थी।

शहबाज शरीफ और PMLN का विरोध
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PMLN) इस संभावित तख्तापलट का विरोध कर रही है।
शहबाज शरीफ को डर है कि अगर राष्ट्रपति प्रणाली लागू हुई, तो उनकी सरकार गिर जाएगी और शरीफ परिवार की राजनीतिक प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी।
सेना और सरकार के बीच बढ़ता तनाव
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, सेना अब सीधे तौर पर सरकारी फैसलों में दखल दे रही है।
आर्मी चीफ मुनीर ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके हौसले और बढ़ गए हैं।

पाकिस्तान की राजनीति में सेना का प्रभुत्व लंबे समय से चला आ रहा है।
अगर इस बार फिर तख्तापलट होता है, तो देश में लोकतंत्र और कमजोर होगा।
साथ ही, भारत और अन्य पड़ोसी देशों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है।
पाकिस्तान में तख्तापलट का इतिहास
ये कोई पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान में तख्तापलट हो रहा इससे पहले अब तक तीन बड़े सैन्य तख्तापलट हो चुके हैं:
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1958: जनरल अयूब खान ने सरकार गिराकर मार्शल लॉ लागू किया।

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1977 – जनरल जिया-उल-हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को हटाया।

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1999 – जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल किया।

अब एक बार फिर सेना के हस्तक्षेप की आशंका जताई जा रही है।
क्या होता है तख्तापलट?
यह शब्द पहली बार 19वीं सदी में इस्तेमाल हुआ था, जब कई देशों में तख्तापलट की घटनाएं देखने को मिली थीं।
तख्तापलट दो तरह से होता है, एक सैन्य तख्तापलट और दूसरा राजनीतिक तख्तापलट।
- जब सेना अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करके देश का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेती है तो उसे सैन्य तख्तापलट कहा जाता है।
- वहीं जब राजनीतिक साजिशों के चलते एक चुनी हुई सरकार को गिराया जाता है तो उसे राजनीतिक तख्तापलट कहा जाता है।
अब एक बार फिर सेना के हस्तक्षेप की आशंका जताई जा रही है।
अगर ऐसा हुआ, तो पाकिस्तान की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आ सकता है।
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