Shibu Soren Jharkhand: झारखंड की धरती ने अपने एक महान सपूत को खो दिया।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक, पूर्व मुख्यमंत्री और ‘दिशोम गुरु’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 4 अगस्त 2025 को सुबह 8:56 बजे अंतिम सांस ली।
उनके निधन से झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया।
झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
आज मैं शून्य हो गया हूं- बेटे का भावुक पोस्ट
उनके बेटे और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भावुक होकर कहा, “गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए, आज मैं शून्य हो गया हूं।”


पीएम ने दी श्रद्धाजंलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट पर लिखा कि ‘शिबू सोरेन जी एक जमीन से जुड़े नेता थे।
उन्होंने आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के लिए काम किया।’
पीएम ने आगे लिखा कि ‘उनके निधन से मैं दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और लोगों के साथ हैं।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उनका पूरा जीवन जनजातीय समाज के कल्याण के लिए समर्पित रहा, जिसके लिए वे सदैव याद किए जाएंगे।@HemantSorenJMM @JMMKalpanaSoren pic.twitter.com/ts5X0C3EiM
— Narendra Modi (@narendramodi) August 4, 2025
Shri Shibu Soren Ji was a grassroots leader who rose through the ranks of public life with unwavering dedication to the people. He was particularly passionate about empowering tribal communities, the poor and downtrodden. Pained by his passing away. My thoughts are with his…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 4, 2025
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी का निधन दुःखद। स्व॰ शिबू सोरेन जी एक प्रख्यात राजनेता थे। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे थे। झारखंड की राजनीति में उनका अहम योगदान रहा है। उनके निधन से न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) August 4, 2025
राहुल गांधी ने व्यक्त कीं गहरी संवेदनाएं
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM के वरिष्ठ नेता शिबू सोरेन जी के निधन का समाचार सुनकर गहरा दुख हुआ।
आदिवासी समाज की मज़बूत आवाज़, सोरेन जी ने उनके हक़ और अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। झारखंड के निर्माण में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा।
हेमंत सोरेन जी और पूरे सोरेन… pic.twitter.com/sFiQrFHF2e
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 4, 2025
संघर्षों के आदि हमारे साथी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु श्री शिबू सोरेन जी के निधन से मर्माहत हूँ।
उनके साथ सांझा संघर्षों की अनेक यादें जुड़ी है। सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के उत्थान में उनकी महत्ती भूमिका रही है।
समस्त राष्ट्रीय जनता दल परिवार दुख की इस घड़ी में…
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) August 4, 2025
शिबू सोरेन का संघर्षशील जीवन, पिता की हत्या से बदली जिंदगी
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को तत्कालीन हजारीबाग (वर्तमान रामगढ़ जिले) के नेमरा गांव में हुआ था।
उनका बचपन बेहद साधारण और चुनौतियों से भरा रहा।
गांव के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा लेने वाले शिबू के जीवन में उस समय बड़ा बदलाव आया, जब महज 13 साल की उम्र में उनके पिता शोभराम सोरेन की हत्या सूदखोर महाजनों ने कर दी।
आज जो झारखंड मुक्ति मोर्चा हर आदिवासी इलाके में अपनी पकड़ बनाए हुए है, वो कार-हेलिकॉप्टर से नहीं, बल्कि आदरणीय दिशोम गुरु, बिनोद महतो, निर्मल महतो, कृष्णा मार्डी, निनांग होरो जैसे नेताओं के संघर्ष, पदयात्रा और लोगों से सीधा जुड़ाव का परिणाम है
जय दिशोम गुरु#ShibuSoren pic.twitter.com/Elmsfkytl3— RAHUL MAHTO ᱨᱟᱦᱩᱞ ᱢᱟᱛᱷᱚ (@priya7462) August 4, 2025
पढ़ाई छोड़कर उन्होंने महाजनों के खिलाफ संघर्ष का रास्ता चुना
यह वह दौर था, जब आदिवासी समाज शोषण और अन्याय का शिकार था।
शिबू ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया, जो बाद में उनके जीवन का मिशन बन गया।
‘दिशोम गुरु’ बनने की कहानी
शिबू सोरेन का ‘दिशोम गुरु’ बनना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
1970 के दशक में उन्होंने सूदखोर महाजनों के खिलाफ ‘धान कटनी आंदोलन’ शुरू किया।
इस आंदोलन ने उन्हें आदिवासी समाज का नायक बना दिया। लेकिन इस दौरान उन्हें कई बार जान का खतरा भी झेलना पड़ा।
आज झारखंड की हवा शांत है,
जंगल सिसक रहा है,
नदियां-पहाड़ मौन हैं और,
हमारी आत्मा रो रही है,
झारखंड निर्माता दिशोम गुरु अब हमारे बीच नहीं रहे!हमारे बीच से सिर्फ एक नेता नहीं गए – एक युग पुरुष, दिशोम गुरु, मार्गदर्शक, झारखंड की आत्मा — आदरणीय शिबू सोरेन जी हम सभी को छोड़कर… pic.twitter.com/Hhvj0Jzh5F
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) August 4, 2025
एक बार महाजनों के गुंडों ने उन्हें घेर लिया। बारिश का मौसम था और बराकर नदी उफान पर थी।
शिबू ने अपनी बाइक के साथ नदी में छलांग लगा दी।
सभी को लगा कि उनका बचना असंभव है, लेकिन वह तैरकर नदी के दूसरे किनारे पहुंच गए।
इस घटना को आदिवासियों ने दैवीय चमत्कार माना और उन्हें ‘दिशोम गुरु’ यानी ‘देश का गुरु’ कहना शुरू किया
झारखंड आंदोलन और राजनीतिक सफर
शिबू सोरेन ने झारखंड को बिहार से अलग करने में अहम भूमिका निभाई।
उनके नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आदिवासी हितों के लिए संघर्ष किया और 2000 में झारखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला।
शिबू तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, आठ बार लोकसभा सांसद और तीन बार राज्यसभा सांसद रहे।
वह केंद्रीय मंत्री भी रहे और अंतिम समय तक राज्यसभा के सदस्य थे।
उनकी राजनीति का आधार हमेशा आदिवासी अधिकार और सामाजिक न्याय रहा।

स्वास्थ्य और अंतिम दिन
पिछले कुछ सालों से शिबू सोरेन कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।
उन्हें किडनी की बीमारी थी और वह लंबे समय से डायलिसिस पर थे।
इसके अलावा, डायबिटीज और हार्ट की बायपास सर्जरी ने उनकी सेहत को और कमजोर कर दिया था।

19 जून 2025 को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती किया गया।
उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ, जिसके कारण उनके शरीर के बाईं ओर लकवा मार गया।
पिछले एक महीने से वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के विशेषज्ञों की टीम ने उनकी देखभाल की, लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गए।
परिवार और विरासत
शिबू सोरेन की शादी रूपी सोरेन से हुई थी। उनके चार बच्चे थे—दुर्गा सोरेन (दिवंगत), अंजनी सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन।
हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री और JMM के प्रमुख नेता हैं। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी राजनीति में सक्रिय हैं।
दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन और बसंत सोरेन भी राजनीति में हैं, जबकि अंजनी सामाजिक कार्यों से जुड़ी हैं।
शिबू सोरेन का परिवार आज भी झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

शिबू सोरेन के जीवन पर एक नजर
- जन्म: 11 जनवरी 1944, रामगढ़, झारखंड
- 1957 में 13 साल की उम्र में पिता की हत्या के बाद पढ़ाई छोड़ी।
- 1969 पहला विधानसभा चुनाव CPI के टिकट पर रामगढ़ से लड़ा, लेकिन हार गए।
- 1970 के दशक में सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।
- 1972 में अलग आदिवासियों के हक और अलग राज्य की मांग के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा बनाया।
- 1980 में दुमका से लोकसभा चुनाव लड़े। पहली बार सांसद बने।
- 1985 में जामा सीट से विधायक बने और 1989 में दुमका से फिर सांसद बने।
- मार्च 2005 मे पहली बार CM बने। बहुमत साबित नहीं करने पर दस दिन में इस्तीफा दिया।
- अगस्त 2008 को दूसरी बार झारखंड के सीएम बने । उपचुनाव हारने पर पांच महीने बाद इस्तीफा दिया।
- दिसंबर 2009 में तीसरी बार झारखंड के सीएम बने। कार्यकाल 5 महीने का रहा।
- 2014 लोकसभा चुनाव जीते।
- 2020 से राज्यसभा सांसद थे।
शोक और अंतिम संस्कार
शिबू सोरेन के निधन की खबर से झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई।
JMM कार्यकर्ता और समर्थक उनके सम्मान में सड़कों पर उतर आए। उनके पार्थिव शरीर को 4 अगस्त 2025 की शाम तक रांची लाया जाएगा।
अंतिम संस्कार की जानकारी जल्द साझा की जाएगी।

एक युग का अंत
शिबू सोरेन सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि झारखंड की जनता के लिए प्रेरणा थे।
उनका जीवन संघर्ष, साहस और समर्पण की मिसाल है।
उन्होंने न सिर्फ झारखंड को एक नई पहचान दी, बल्कि आदिवासी समाज को उनके अधिकारों के लिए एक मजबूत आवाज भी दी।
उनके निधन से झारखंड ने अपना ‘दिशोम गुरु’ खो दिया, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।
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