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सतना में शर्मनाक मंजर: गांव में सड़क नहीं तो BMO ने एंबुलेंस भेजने से किया इनकार, चारपाई पर ले जाना पड़ा शव

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Satna dead body on cot: डिजिटल इंडिया के दौर में भी आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं पहुंची हैं।

हाल ही में सतना जिले के पुरवा गांव की उसरहाई टोला आदिवासी बस्ती में एक दर्दनाक घटना ने प्रशासन की लापरवाही को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

यहां 15 साल के एक नाबालिग लड़के की कुएं में डूबकर मौत हो गई, लेकिन सड़क न होने के कारण उसके शव को एम्बुलेंस नहीं मिली।

ग्रामीणों को चारपाई पर शव रखकर डेढ़ किलोमीटर कीचड़ भरे रास्ते से ले जाना पड़ा।

क्या हुआ था?

बुधवार दोपहर आशिकी कोल खेत में काम करने गया था, लेकिन वह लंबे समय तक घर नहीं लौटा।

परिजनों ने जब उसकी तलाश शुरू की, तो उसका मोबाइल फोन एक कुएं के पास पड़ा मिला।

ग्रामीणों ने कुएं में डूबे आशिकी का शव बाहर निकाला।

पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन गांव तक पहुंचने के लिए सड़क न होने के कारण पुलिसकर्मियों को 800 मीटर कीचड़ भरे रास्ते से पैदल चलकर आना पड़ा।

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एम्बुलेंस ने मना कर दिया, चारपाई बनी अंतिम सहारा

जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की बारी आई, तो एम्बुलेंस ने गांव तक पहुंचने से इनकार कर दिया।

बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) ने कहा – “सड़क नहीं है, हम नहीं आ सकते।”

मजबूरन ग्रामीणों ने शव को चारपाई पर रखा और डेढ़ किलोमीटर तक नंगे पांव कीचड़ में चलकर उसे अस्पताल पहुंचाया।

“नेता सिर्फ वादे करते हैं, हालात नहीं बदलते”

ग्रामीणों ने बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है।

पिछले साल बारिश के मौसम में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई थी, लेकिन सड़क न होने के कारण उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका और उसकी मौत हो गई।

गांव में न सड़क है, न बिजली, न ही पीने के पानी का कोई बेहतर इंतजाम।

एक ही कुएं से पूरा गांव पानी की जरूरतें पूरी करता है।

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प्रशासन की चुप्पी, ग्रामीणों का गुस्सा

यह गांव राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी की विधानसभा रैगांव के अंतर्गत आता है।

ग्रामीणों का कहना है कि नेताओं ने कई बार सड़क बनाने का वादा किया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।

थाना प्रभारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मामले में मदद की, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं।

क्या सच में विकास हो रहा है?

इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या गांवों तक विकास पहुंच रहा है?

जब तक बुनियादी ढांचा नहीं सुधरेगा, तब तक ऐसी दर्दनाक घटनाएं होती रहेंगी।

गर्भवतियों को भी नहीं मिल रही एंबुलेंस

मध्य प्रदेश में पिछले कुछ समय से लगातार ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां गांव में सड़क न होने की वजह से गर्भवतियों को एंबुलेंस नहीं मिल पा रही हैं।

ऐसे में कभी चारपाई पर तो कभी किसी और तरीके से गांव वाले गर्भवतियों को जान पर खेलकर अस्पताल पहुंचा रहे हैं।

इस मुद्दे को लेकर काफी राजनीति भी हुई है लेकिन इसका कोई हल अब तक नहीं निकल पाया है।

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