RCB Compensation: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने एक बड़ा फैसला लिया है।
टीम ने घोषणा की है कि वह इस साल 4 जून को हुई अपनी जीत की परेड के दौरान भगदड़ में मारे गए सभी 11 प्रशंसकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी।
यह जानकारी RCB ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शनिवार को एक पोस्ट के जरिए साझा की।
टीम ने कहा कि वह इस मुश्किल वक्त में सभी पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है और यह मदद उनके जीवन में थोड़ा सहारा देने के लिए की जा रही है।
क्या हुआ था उस दिन?
RCB की टीम 18 साल बाद 2025 में पहली बार IPL का खिताब जीतकर लौटी थी।
इस ऐतिहासिक जीत के जश्न में 4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में एक भव्य विजय परेड का आयोजन किया गया था।
हालांकि, यह जश्न एक बड़ी त्रासदी में बदल गया।

स्टेडियम के अंदर और आसपास जबरदस्त भीड़ जुट गई, जिसके कारण भगदड़ मच गई।
इस हादसे में 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
मरने वालों में तीन किशोर भी शामिल थे, जिनमें सबसे छोटी 13 साल की दिव्यांशी थी।
सभी पीड़ित 35 साल से कम उम्र के थे।

RCB का पोस्ट
RCB ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक भावनात्मक नोट शेयर करते हुए लिखा,
“हमने RCB परिवार के 11 सदस्यों को खो दिया। वे हमारा हिस्सा थे। हमारे शहर, हमारे समुदाय और हमारी टीम को बेमिसाल बनाने वाली चीजों का हिस्सा थे।
उन परिवारों की मदद किसी भी रकम से नहीं हो सकती, लेकिन सम्मान के तौर पर हम ₹25-25 लाख की मदद करना चाहते हैं।
यह आर्थिक रूप में एक मदद नहीं है, बल्कि एकता और देखभाल का एक वादा है।”
इसके साथ ही, RCB ने ‘RCB Cares’ नामक एक पहल की भी शुरुआत की घोषणा की, जो लंबे समय तक चलेगी और प्रशंसकों के लिए अच्छे काम करेगी।

जांच रिपोर्ट्स ने किसे ठहराया जिम्मेदार?
इस हादसे को लेकर कर्नाटक सरकार और एक न्यायिक आयोग ने अपनी जाँच रिपोर्ट्स पेश की हैं, और दोनों ने ही RCB प्रबंधन को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया है।
17 जुलाई की सरकारी रिपोर्ट
कर्नाटक सरकार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि RCB ने परेड के लिए पुलिस से आधिकारिक अनुमति नहीं ली थी।
उसने सिर्फ एक ‘सूचना’ दी थी।
नियमों के मुताबिक, ऐसे आयोजनों के लिए कम से कम 7 दिन पहले अनुमति लेना जरूरी होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, RCB ने सुबह 7 बजे सोशल मीडिया पर ‘फ्री एंट्री’ का ऐलान कर दिया, जिसे 44 लाख से ज्यादा बार देखा गया।
इसकी वजह से करीब 3 लाख लोग स्टेडियम पहुंच गए, जबकि स्टेडियम की क्षमता सिर्फ 35,000 है।
देर से ‘फ्री पास’ की जानकारी ने भ्रम और गुस्सा पैदा किया।

26 जुलाई की कुन्हा आयोग रिपोर्ट
जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा की अगुवाई वाले आयोग ने अपनी रिपोर्ट में RCB, उनकी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी DNA एंटरटेनमेंट और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया।
रिपोर्ट में कहा गया कि चिन्नास्वामी स्टेडियम बड़े आयोजनों के लिए पूरी तरह से असुरक्षित है।
वहां भीड़ नियंत्रण, प्रवेश-निकास और इमरजेंसी प्लान जैसी बुनियादी सुविधाओं की गंभीर कमी है।
आयोग ने इन तीनों संस्थाओं के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी की।

सरकार और विपक्ष का राजनीतिक दोषारोपण
इस मामले पर राजनीतिक जमकर बहस भी हुई।
8 अगस्त को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधानसभा में कहा कि भगदड़ के लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदार नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं दुनिया भर में होती हैं और पिछले 10 सालों में भाजपा शासित राज्यों में 20 भगदड़ हो चुकी हैं।
उनका तर्क था कि भगदड़ भीड़ के अचानक बेकाबू हो जाने से हुई क्योंकि बेंगलुरु के लोगों ने RCB की जीत को अपनी जीत मान लिया था।
भाजपा ने इस हादसे के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।

आगे की राह और सबक
इस दुखद घटना ने बड़े सार्वजनिक आयोजनों की सुरक्षा और प्रबंधन पर बड़े सवाल खड़े किए हैं।
कुन्हा आयोग ने सिफारिश की है कि भविष्य में ऐसे बड़े आयोजन सिर्फ उन्हीं जगहों पर हों जो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों पर खरे उतरते हों।
साथ ही, पुराने स्टेडियमों में बिना जरूरी सुधार के किसी भी बड़े आयोजन की इजाजत न दी जाए।
इस घटना का असर आने वाले खेल आयोजनों पर भी पड़ सकता है।
KSCA ने पहले ही अपनी राज्य लीग ‘महाराजा ट्रॉफी’ दर्शकों के बिना कराने का फैसला किया है।

RCB द्वारा पीड़ित परिवारों को मदद दिए जाने का कदम एक सकारात्मक और जिम्मेदाराना कदम है, जो इस त्रासदी में मानवीय संवेदनशीलता दिखाता है।
हालाँकि, यह घटना हमेशा याद दिलाएगी कि उत्सव और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना कितना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी कोई दुर्घटना न हो।