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2 महीने की उम्र में चली गई थीं आंखों की रोशनी फिर ऐसे बनें जगद्गुरु, जानें कौन हैं रामभद्राचार्य

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Rambhadracharya Demands POK: भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ आश्रम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात की।

इस दौरान रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख को राम मंत्र की दीक्षा दी और गुरु दक्षिणा में कुछ ऐसा मांग लिया कि अब हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।

दरअसल, जगद्गुरु ने दक्षिणा के रूप में आर्मी चीफ से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) वापस लाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान ने भारत पर फिर हमला किया, तो वह “दुनिया के नक्शे से मिट जाएगा”।

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सेना प्रमुख की चित्रकूट यात्रा

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपनी पत्नी के साथ चित्रकूट का दौरा किया और जगद्गुरु रामभद्राचार्य से आशीर्वाद लिया।

रामभद्राचार्य ने कहा, “मैंने उन्हें वही दीक्षा दी, जो माता सीता ने हनुमान जी को लंका जीतने के लिए दी थी।”

इसके अलावा, सेना प्रमुख ने सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय में एक सिम्युलेटर मशीन का उद्घाटन किया और दिव्यांग छात्रों को संबोधित किया।

उन्होंने पद्मश्री डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन से भी मुलाकात की और सेवा कार्यों की सराहना की।

कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य?

जगद्गुरु रामभद्राचार्य की गिनती देश के महान संतों में होती है।

वो प्रकांड विद्वान, कई ग्रंथों के लेखक, शिक्षक और आध्‍यात्मिक गुरु हैं।

रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में जौनपुर (UP) के ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

स्‍वामी रामभद्राचार्य का बचपन का नाम गिरिधर मिश्रा था।

2 महीने की उम्र में चली गई आंखों की रोशनी

जब वे 2 महीने के थे तभी उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी लेकिन वे बेहद प्रतिभाशाली थे।

रामभद्राचार्य ने अपने दादा से महाभारत, रामायण, सुखसागर, विश्रामसागर, ब्रजविलास, सुखसागर जैसे तमाम ग्रंथ सुनकर कंठस्थ (याद) कर लिए थे।

4 साल की उम्र तक वो कविता पाठ करने लगे और 8 साल की उम्र में रामभद्राचार्य भागवत और रामकथा का भी पाठ करने लगे।

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22 भाषाएं बोल सकते हैं रामभद्राचार्य

रामभद्राचार्य 22 भाषाएं बोल सकते हैं। वे रामानंद संप्रदाय के जगद्गुरु हैं।

हैरानी की बात ये है कि उन्होंने ब्रेल लिपि सीखे बिना ही कई ग्रंथ लिखे हैं।

ग्रंथों के साथ-साथ उन्‍होंने कई कविताएं भी लिखी हैं।

दशकों तक कोर्ट में चले राम मंदिर के विवाद में वे महत्‍वपूर्ण गवाह रहे हैं और उनकी गवाही के कारण ही कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में गया था।

उपलब्धियां:

  • पद्म विभूषण से सम्मानित
  • राम मंदिर मामले में अहम गवाह
  • दिव्यांग विश्वविद्यालय के संस्थापक
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