No Petrol Without Helmet: भोपाल और इंदौर में अब 1 अगस्त से दोपहिया वाहन चालकों को बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं मिलेगा।
यह निर्णय जिला प्रशासन द्वारा सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए लिया गया है।
भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किए।
इस नियम के तहत, पेट्रोल पंप और सीएनजी स्टेशनों पर बिना हेलमेट वाले राइडर्स को ईंधन नहीं दिया जाएगा।
इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने सरकारी कार्यालयों में भी हेलमेट अनिवार्य करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि बिना हेलमेट किसी को भी सरकारी दफ्तरों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

क्या कहते हैं नए नियम?
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1 अगस्त से लागू: यह आदेश 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगा और 29 सितंबर, 2025 तक लागू रहेगा।
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आपातकाल में छूट: मेडिकल इमरजेंसी या अन्य आकस्मिक स्थितियों में इस नियम में छूट दी जाएगी।
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उल्लंघन पर कार्रवाई: नियम तोड़ने वाले पेट्रोल पंप संचालकों और वाहन चालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।
पेट्रोल पंप संचालकों की चिंता
पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने सवाल उठाया है कि अगर पंप संचालकों पर कार्रवाई होगी, तो बिना हेलमेट आने वाले ग्राहकों पर क्या कार्रवाई होगी?
उन्होंने कहा कि पुलिस को भी सड़क पर बिना हेलमेट वाले वाहन चालकों को पकड़ने में सख्ती दिखानी चाहिए।

पेट्रोल पंप संचालकों ने किया आदेश का विरोध
इंदौर के पेट्रोल पंप संचालक इस आदेश का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी है, न कि उनकी।
पेट्रोल पंप संचालकों का मानना है कि:
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यह ट्रैफिक पुलिस का काम है, क्योंकि वाहन चालक पूरे दिन सड़कों पर होते हैं, जबकि पेट्रोल भरवाने के लिए वे कुछ मिनटों के लिए ही पंप पर आते हैं।
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इस आदेश से पेट्रोल पंप पर झगड़े बढ़ सकते हैं, और संचालकों को ही इन विवादों का सामना करना पड़ेगा।
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पुलिस चालान काटकर नियम लागू कर सकती है, लेकिन पेट्रोल पंप संचालकों पर यह जिम्मेदारी डालना उचित नहीं है।
प्रशासन और पुलिस का क्या रुख है?
प्रशासन का कहना है कि यह नियम सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी है और सभी को इसमें सहयोग करना चाहिए।
अगर कोई विवाद होता है, तो चालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर आशीष सिंह ने BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 163 के तहत यह आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार अगर कोई पेट्रोल पंप बिना हेलमेट वाले चालक को पेट्रोल देता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका
इस आदेश के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता एडवोकेट रितेश ईनानी (हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष) का कहना है कि:
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शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में हेलमेट की जरूरत नहीं, क्योंकि वहाँ ट्रैफिक बहुत धीमी गति से चलता है।
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यह नियम शहर के बाहरी इलाकों में लागू किया जा सकता है, जहाँ वाहनों की स्पीड ज्यादा होती है।
याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है, जिसके बाद ही स्पष्ट होगा कि यह आदेश लागू रहेगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायत
सड़क सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने इंदौर में हुई बैठक में कुछ अहम निर्देश दिए:
- सरकारी कर्मचारी और छात्रों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाए।
- शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए ताकि सड़कों पर वाहनों की भीड़ कम हो।

यह निर्णय सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अब भोपाल और इंदौर के नागरिकों को हेलमेट पहनकर ही वाहन चलाना होगा, वरना उन्हें पेट्रोल नहीं मिलेगा।
सरकार और प्रशासन का लक्ष्य है कि इस नियम से दुर्घटनाओं में कमी आए और लोग सुरक्षित यात्रा करें।
लेकिन पेट्रोल पंप संचालक इसे अव्यावहारिक मान रहे हैं।
अब देखना होगा कि हाईकोर्ट का क्या फैसला आता है और क्या यह नियम वाकई लागू हो पाता है।