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मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस: 11 जुलाई का वो दिन जब 7 धमाकों से दहल गई थी Mumbai

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Mumbai Train Blast: 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को ऐसा फैसला सुनाया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो गया।

कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को सबूतों की कमी के आधार पर बरी कर दिया।

इस हादसे में 189 लोगों की मौत हुई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे।

हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष (प्रॉसिक्यूशन) आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा।

सीलिंग और सबूतों का रखरखाव भी ठीक नहीं था।

साथ ही, आरोपियों के बयान जबरदस्ती लिए गए प्रतीत होते हैं।

क्या हुआ था 11 जुलाई 2006 को?

मुंबई के पश्चिमी रेलवे मार्ग पर शाम 6:24 से 6:35 के बीच सात ट्रेनों के फर्स्ट क्लास डिब्बों में धमाके हुए।

ये बम प्रेशर कुकर में आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट और कीलों से बनाए गए थे।

धमाके इन स्टेशनों के पास हुए:

  1. माहिम
  2. मीरा-भायंदर
  3. जोगेश्वरी
  4. बोरीवली
  5. माटुंगा
  6. खार
  7. बांद्रा

पुलिस ने इसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का काम बताया था।

आरोप था कि आतंकी आजम चीमा ने बहावलपुर (पाकिस्तान) में इसकी साजिश रची थी।

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केस की टाइमलाइन: 2006 से 2025 तक

  • 2006: 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

  • 2015: स्पेशल MCOCA कोर्ट ने 5 को फांसी, 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई।

  • 2016: आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की।

  • 2025: हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया, कहा – “सबूत नहीं जुटाए गए।”

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हाईकोर्ट के 4 बड़े तर्क

  1. सबूतों की कमी: गवाहों के बयान और जब्त सामान आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

  2. सबूतों का खराब रखरखाव: विस्फोटकों की सीलिंग ठीक से नहीं की गई थी।

  3. बम का प्रकार साबित नहीं हुआ: अभियोजन पक्ष बमों की सटीक जानकारी नहीं दे पाया।

  4. जबरन बयान का आरोप: आरोपियों ने दावा किया कि उनसे जबरन कबूलनामे लिए गए।

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मुंबई ब्लास्ट में ये थे आरोपी

  1. कमाल अहमद अंसारी (37) (2021 में कोविड से मौत)
  2. तनवीर अहमद अंसारी (37)
  3. मोहम्मद फैजल शेख (36)
  4. एहतेशाम सिद्दीकी (30)
  5. मोहम्मद माजिद शफी (32)
  6. शेख आलम शेख (41)
  7. मोहम्मद साजिद अंसारी (34)
  8. मुजम्मिल शेख (27)
  9. सोहेल मेहमूद शेख (43)
  10. जामिर अहमद शेख (36)
  11. नावीद हुसैन खान (30)
  12. आसिफ खान (38)
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पीड़ितों के परिवारों की प्रतिक्रिया

कई परिवारों ने न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।

एक पीड़ित के रिश्तेदार ने कहा, 19 साल इंतजार के बाद यह फैसला दर्दनाक है। हमें न्याय नहीं मिला।”

वकील उज्ज्वल निकम ने कहा, “यह फैसला सबूतों की कमजोरी को दिखाता है। आतंकी मामलों में सबूत जुटाने की प्रक्रिया सुधारनी होगी।”

क्या अब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी?

महाराष्ट्र सरकार फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।

हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

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19 साल के लंबे इंतजार के बाद आया यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली में सबूतों के महत्व को रेखांकित करता है।

पीड़ित परिवारों के लिए यह एक कड़वा सच है, जबकि आरोपियों को राहत मिली है।

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