MP OBC Reservation: मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण देने के मुद्दे पर राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल एकमत हो गए हैं।
28 अगस्त, गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद यह सहमति बनी।
हालांकि, इस ऐतिहासिक सहमति के बाद अब यह फैसला किसके श्रेय में जाएगा, इसको लेकर राजनीतिक दलों के बीच नई बहस छिड़ गई है।
कांग्रेस ने इसे अपने संघर्ष की जीत बताया है, जबकि भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री पहले से ही इसके पक्ष में थे।
सर्वदलीय बैठक में क्या हुआ?
28 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में सभी दलों ने एक सुर में ओबीसी आरक्षण का समर्थन किया।
बैठक के बाद दो प्रमुख संकल्प पारित किए गए:
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सभी दल मध्य प्रदेश में लोक नियोजन में ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका सहित सभी मंचों पर एकजुट होकर प्रयास करेंगे।
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सभी दल उन 13% चयनित OBC अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिन्हें विभिन्न न्यायिक आदेशों के कारण अभी तक नियुक्ति नहीं मिल पाई है।
OBC वर्ग को 27% आरक्षक हेतु आज सर्वदलीय बैठक सम्पन्न हुई।
जिसमें सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया गया कि इस मामले में सभी दल एकजुट होकर एक फोरम पर आएंगे। इस मामले में विभिन्न पक्षों के अधिवक्तागण भी 10 सितंबर तक एक साथ बैठकर बात करेंगे।
– मुख्यमंत्री @DrMohanYadav51 जी pic.twitter.com/4f41Os8xoH
— BJP Madhya Pradesh (@BJP4MP) August 28, 2025
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 22 सितंबर से शुरू होगी।
उन्होंने कहा कि सभी वकील 10 सितंबर तक एक सामूहिक बैठक करें ताकि कोर्ट में एक मजबूत पक्ष रखा जा सके।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि MPPSC (मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग) के वकीलों के पैनल को बदला जाएगा।

किसने क्या कहा? श्रेय की लड़ाई
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विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे कांग्रेस की “बड़ी जीत” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के लगातार संघर्ष के बाद ही सरकार मानी है। उन्होंने कहा कि 2019 में कमलनाथ सरकार ने ही 27% आरक्षण का कानून बनाया था, जबकि भाजपा सरकार ने इसे 6 साल तक रोके रखा।
कांग्रेस की ओबीसी आरक्षण पर बड़ी जीत
कांग्रेस पार्टी लगातार मांग और संघर्ष के बाद आज भाजपा ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर हामी भरी है, इसका हम स्वागत करते हैं।
कांग्रेस सरकार ने 6 साल पहले ही 27% ओबीसी आरक्षण के लिए मजबूत नींव रखी थी, और आज भाजपा सरकार उसी घर में नारियल फोड़कर गृह… pic.twitter.com/eF3w4TAhMd— Umang Singhar (@UmangSinghar) August 28, 2025
ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर प्रदेश सरकार बार-बार अपने ही बुने जाल में फँस रही है।
18 अगस्त को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल काउंटर एफिडेविट में कहा था कि ओबीसी को 27% आरक्षण की मांग करने वाली याचिकाएँ सुनवाई योग्य नहीं हैं, इसलिए उन्हें खारिज किया… pic.twitter.com/EGxbMRbAce
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 28, 2025
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कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा कि बैठक “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” जैसी थी और सरकार की कथनी और करनी में अंतर है।
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भाजपा सांसद गणेश सिंह ने सरकार के रुख का बचाव करते हुए पूछा कि जब कानून पर कोई रोक (स्टे) नहीं है, तो इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा? सरकार की ओर से जवाब देते हुए अधिकारियों ने बताया कि एडीपीओ जैसे一पदों पर रोस्टर सिस्टम को भी कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसके कारण समस्या आ रही है।

6 साल पुराना संघर्ष
यह मुद्दा 2019 का है, जब तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने OBC आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला किया था।
इसके लिए अध्यादेश लाया गया और बाद में कानून पास किया गया।
सरकार का तर्क था कि राज्य में OBC आबादी 48% है, इसलिए 27% आरक्षण जायज है।
हालांकि, इसके तुरंत बाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हुईं।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इससे आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है।
मई 2020 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 27% आरक्षण लागू करने पर रोक लगा दी, जिससे MPPSC और शिक्षक भर्ती समेत कई नियुक्तियां अटक गईं।
आज सर्वदलीय बैठक में ओबीसी आरक्षण पर चर्चा हुई! यदि ओबीसी आरक्षण जल्दी लागू करने का कोई रास्ता निकलता है, तो यह एक सकारात्मक कदम होगा!
जरूरत इस बात की है कि बीते 6 साल तक इसे रोकने वालों पर भी अब कार्रवाई होना चाहिए!pic.twitter.com/EXFZ2I0jft
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) August 28, 2025
MPPSC ने सुप्रीम कोर्ट में वापस लिया हलफनामा
सर्वदलीय बैठक से ठीक एक दिन पहले, MPPSC ने एक अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नया आवेदन दाखिल किया।
आयोग ने OBC अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज करने के लिए दिए गए अपने पुराने हलफनामे (काउंटर एफिडेविट) को वापस लेने की अनुमति मांगी।
MPPSC ने कोर्ट से कहा कि उसके हलफनामे में “अनजाने में कुछ त्रुटियां” हो गई थीं और उन्हें सुधारकर एक नया हलफनामा दाखिल करने की इजाजत दी जाए।
पिछड़ा वर्ग के लिए 27% आरक्षण सुनिश्चित करने में कोई भी समस्या आती है तो सभी दल मिलकर उसका हल निकालेंगे।
– भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री @Hkhandelwal1964 pic.twitter.com/DdrucV59Nz
— BJP Madhya Pradesh (@BJP4MP) August 28, 2025
OBC आरक्षण की टाइमलाइन
मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण को 27% करने का सफर लंबा चला है।
- मार्च 2019 में कमलनाथ सरकार ने OBC आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया था।
- मार्च 2020 में हाईकोर्ट ने इसे रोक दिया, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय का नियम है कि कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता।
- अगस्त 2023 में हाईकोर्ट ने एक नया फॉर्मूला (87:13) लागू किया, जिसमें 87% पदों पर भर्ती की जानी थी और 13% पद रोककर रखे गए।
- जनवरी 2025 में हाईकोर्ट ने इस फॉर्मूले को बरकरार रखा और 27% आरक्षण का रास्ता साफ किया।
- राज्य सरकार इस फैसले से सहमत नहीं थी और फरवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
- सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को आदेश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई न करे।
- अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण बढ़ाने के कानून में कोई रुकावट नहीं है और राज्य से जुड़ी सभी याचिकाएं अपने पास ले लीं।
- जून 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की विशेष सुनवाई की।
- अब राज्य की 27% OBC आरक्षण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है।
सहमति बनी, लेकिन सवाल बाकी
अब सभी राजनीतिक दलों ने OBC आरक्षण के मुद्दे पर आपसी मतभेद भुलाकर एकजुटता दिखाई है।
यह एक सकारात्मक कदम है जिससे लाखों युवाओं को उम्मीद मिली है। हालांकि, अभी भी कई सवाल बाकी हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि 50% की आरक्षण सीमा का उल्लंघन किए बिना यह आरक्षण कैसे लागू होगा?
सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई इस मामले में अहम भूमिका निभाएगी।

फिलहाल, राजनीतिक दलों की यह एकजुटता यह संदेश देती है कि OBC समाज के हित में सभी दल एक साथ खड़े हैं, भले ही उनके इरादों पर श्रेय की लड़ाई के कारण सवाल उठ रहे हों।