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27% OBC आरक्षण पर BJP-कांग्रेस समेत सभी दल एक साथ, अब शुरू हुई क्रेडिट लेने की जंग!

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

MP OBC Reservation: मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण देने के मुद्दे पर राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल एकमत हो गए हैं।

28 अगस्त, गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद यह सहमति बनी।

हालांकि, इस ऐतिहासिक सहमति के बाद अब यह फैसला किसके श्रेय में जाएगा, इसको लेकर राजनीतिक दलों के बीच नई बहस छिड़ गई है।

कांग्रेस ने इसे अपने संघर्ष की जीत बताया है, जबकि भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री पहले से ही इसके पक्ष में थे।

सर्वदलीय बैठक में क्या हुआ?

28 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में सभी दलों ने एक सुर में ओबीसी आरक्षण का समर्थन किया।

बैठक के बाद दो प्रमुख संकल्प पारित किए गए:

  1. सभी दल मध्य प्रदेश में लोक नियोजन में ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका सहित सभी मंचों पर एकजुट होकर प्रयास करेंगे।

  2. सभी दल उन 13% चयनित OBC अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिन्हें विभिन्न न्यायिक आदेशों के कारण अभी तक नियुक्ति नहीं मिल पाई है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 22 सितंबर से शुरू होगी।

उन्होंने कहा कि सभी वकील 10 सितंबर तक एक सामूहिक बैठक करें ताकि कोर्ट में एक मजबूत पक्ष रखा जा सके।

उन्होंने यह भी घोषणा की कि MPPSC (मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग) के वकीलों के पैनल को बदला जाएगा।

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किसने क्या कहा? श्रेय की लड़ाई

  • विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे कांग्रेस की “बड़ी जीत” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के लगातार संघर्ष के बाद ही सरकार मानी है। उन्होंने कहा कि 2019 में कमलनाथ सरकार ने ही 27% आरक्षण का कानून बनाया था, जबकि भाजपा सरकार ने इसे 6 साल तक रोके रखा।

  • कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा कि बैठक “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” जैसी थी और सरकार की कथनी और करनी में अंतर है।

  • भाजपा सांसद गणेश सिंह ने सरकार के रुख का बचाव करते हुए पूछा कि जब कानून पर कोई रोक (स्टे) नहीं है, तो इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा? सरकार की ओर से जवाब देते हुए अधिकारियों ने बताया कि एडीपीओ जैसे一पदों पर रोस्टर सिस्टम को भी कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसके कारण समस्या आ रही है।

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6 साल पुराना संघर्ष

यह मुद्दा 2019 का है, जब तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने OBC आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला किया था।

इसके लिए अध्यादेश लाया गया और बाद में कानून पास किया गया।

सरकार का तर्क था कि राज्य में OBC आबादी 48% है, इसलिए 27% आरक्षण जायज है।

हालांकि, इसके तुरंत बाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हुईं।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इससे आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है।

मई 2020 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 27% आरक्षण लागू करने पर रोक लगा दी, जिससे MPPSC और शिक्षक भर्ती समेत कई नियुक्तियां अटक गईं।

MPPSC ने सुप्रीम कोर्ट में वापस लिया हलफनामा

सर्वदलीय बैठक से ठीक एक दिन पहले, MPPSC ने एक अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नया आवेदन दाखिल किया।

आयोग ने OBC अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज करने के लिए दिए गए अपने पुराने हलफनामे (काउंटर एफिडेविट) को वापस लेने की अनुमति मांगी।

MPPSC ने कोर्ट से कहा कि उसके हलफनामे में “अनजाने में कुछ त्रुटियां” हो गई थीं और उन्हें सुधारकर एक नया हलफनामा दाखिल करने की इजाजत दी जाए।

OBC आरक्षण की टाइमलाइन

मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण को 27% करने का सफर लंबा चला है।

  • मार्च 2019 में कमलनाथ सरकार ने OBC आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया था।
  • मार्च 2020 में हाईकोर्ट ने इसे रोक दिया, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय का नियम है कि कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता।
  • अगस्त 2023 में हाईकोर्ट ने एक नया फॉर्मूला (87:13) लागू किया, जिसमें 87% पदों पर भर्ती की जानी थी और 13% पद रोककर रखे गए।
  • जनवरी 2025 में हाईकोर्ट ने इस फॉर्मूले को बरकरार रखा और 27% आरक्षण का रास्ता साफ किया।
  • राज्य सरकार इस फैसले से सहमत नहीं थी और फरवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
  • सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को आदेश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई न करे।
  • अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण बढ़ाने के कानून में कोई रुकावट नहीं है और राज्य से जुड़ी सभी याचिकाएं अपने पास ले लीं।
  • जून 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की विशेष सुनवाई की।
  • अब राज्य की 27% OBC आरक्षण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है।

सहमति बनी, लेकिन सवाल बाकी

अब सभी राजनीतिक दलों ने OBC आरक्षण के मुद्दे पर आपसी मतभेद भुलाकर एकजुटता दिखाई है।

यह एक सकारात्मक कदम है जिससे लाखों युवाओं को उम्मीद मिली है। हालांकि, अभी भी कई सवाल बाकी हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि 50% की आरक्षण सीमा का उल्लंघन किए बिना यह आरक्षण कैसे लागू होगा?

सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई इस मामले में अहम भूमिका निभाएगी।

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फिलहाल, राजनीतिक दलों की यह एकजुटता यह संदेश देती है कि OBC समाज के हित में सभी दल एक साथ खड़े हैं, भले ही उनके इरादों पर श्रेय की लड़ाई के कारण सवाल उठ रहे हों।

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