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MSP पर मूंग-उड़द खरीदेगी मध्य प्रदेश सरकार, 19 जून से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Moong urad purchase at MSP: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को बड़ी राहत देते हुए ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर करने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि किसानों का पंजीयन 19 जून से शुरू होगा।

राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को 8 लाख टन मूंग खरीदने का प्रस्ताव भेज दिया है।

इस साल मूंग का MSP ₹8,682 प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि बाजार में इसकी कीमतें ₹6,000-7,000 प्रति क्विंटल तक गिर चुकी हैं।

सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों किसानों को फायदा होगा, जिन्होंने इस साल लगभग 13.49 लाख हेक्टेयर में मूंग की बुवाई की है और करीब 21 लाख टन उत्पादन का अनुमान है।

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किसानों के आंदोलन के बाद सरकार ने लिया बड़ा फैसला

हाल के दिनों में मूंग की गिरती कीमतों और बढ़ती उत्पादन लागत से परेशान किसान आंदोलन पर उतर आए थे।

भारतीय किसान संघ (BKS) ने प्रदेश की हर तहसील में प्रदर्शन कर समर्थन मूल्य पर खरीदी की मांग की थी।

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया था।

Shivraj Singh Chauhan
Shivraj Singh Chauhan

राज्य सरकार ने तुरंत की कार्रवाई

किसानों के दबाव और आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि, “कृषि प्रधान राज्य होने के नाते मध्य प्रदेश सरकार किसानों के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।” 

उन्होंने यह भी बताया कि मूंग के साथ-साथ उड़द की भी MSP पर खरीदी की जाएगी।

किसानों ने जताया आभार

सरकार के इस फैसले से किसान संगठनों ने खुशी जाहिर की है।

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समय रहते उपार्जन की व्यवस्था कर ली जाए, ताकि किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो।”

हालांकि, इस फैसले को लेकर राजनीतिक होड़ भी शुरू हो गई है।

श्रेय लेने की राजनीतिक होड़ तेज

कांग्रेस और किसान संघ के नेताओं के बीच इसका श्रेय लेने की कोशिश जारी है।

किसान नेताओं का कहना है कि उनके आंदोलन के दबाव में सरकार ने यह फैसला लिया, जबकि सरकारी प्रवक्ताओं का दावा है कि यह किसान हितैषी नीति का हिस्सा है।

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क्या है MSP 

MSP का मतलब है “मिनिमम सपोर्ट प्राइस” (Minimum Support Price), जो कि सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल के लिए तय किया जाने वाला न्यूनतम मूल्य है। 
यह मूल्य बाजार में उस फसल की कीमत से कम होने पर भी, किसानों को उसकी फसल बेचने के लिए गारंटीड है।
MSP का उद्देश्य:
    • किसानों को मूल्य अस्थिरता से बचाना:
      बाजार में फसलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव होने पर किसानों को नुकसान से बचाना। 

    • खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना:
      आवश्यक फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना। 

  • किसानों को उचित मूल्य दिलाना:
    किसानों को उनकी फसल के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना। 

MSP कैसे काम करता है:
  • 1. CACP की सिफारिश:
    सरकार हर फसल सीजन से पहले कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर MSP तय करती है। 

  • 2. MSP पर खरीद:
    सरकार किसानों से MSP पर उनकी फसल खरीदती है, भले ही बाजार में उस फसल की कीमत कम हो। 

MSP के फायदे:
  • किसानों को सुरक्षा:
    किसानों को बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव से नुकसान से सुरक्षा मिलती है। 

  • उत्पादन में वृद्धि:
    आवश्यक फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने से खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है। 

  • प्रतिक्रियात्मकता:
    एमएसपी के कारण किसान बाजार में कीमतें गिरने पर भी अपनी फसल बेच सकते हैं, जिससे उनकी आय में स्थिरता आती है। 

MSP की सीमाएं:
  • नियम-कानून का अभाव:
    सभी फसलों की खरीद को MSP पर कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं बनाया गया है। 

  • अव्यवहार्यता:
    कुछ मामलों में, एमएसपी बाजार मूल्य से काफी अधिक हो सकता है, जिससे किसानों के लिए बाजार में बेचने की बजाय एमएसपी पर सरकार को बेचने का विकल्प अधिक आकर्षक हो सकता है। 

  • वित्तीय बोझ:
    MSP पर खरीद सरकार के लिए एक वित्तीय बोझ हो सकती है, खासकर जब बाजार मूल्य MSP से कम हो। 

बहरहाल मध्य प्रदेश सरकार का यह फैसला किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा।

हालांकि, अब सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि खरीद प्रक्रिया पारदर्शी और समय पर हो, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।

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