Kalpesh Yagnik Suicide Case: मध्य प्रदेश के इंदौर में वरिष्ठ पत्रकार कल्पेश याग्निक की आत्महत्या का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है।
साल 2018 में कल्पेश ने अपने कार्यालय की ऊपरी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी।
उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि उनके साथ काम करने वाली सोनाली अरोरा उन्हें ब्लैकमेल कर रही थी, जिसके बाद पुलिस ने सोनाली को गिरफ्तार किया था।
हालांकि, 2019 में सोनाली को कोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमानत हासिल की थी।
इसके बाद इंदौर पुलिस ने उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया है।

फर्जी जमानत का कैसे पता चला?
सोनाली अरोरा की जमानत पहले उसकी भाभी डिंपल संजय अरोड़ा ने कराई थी, लेकिन बाद में डिंपल ने कोर्ट में अर्जी देकर जमानत वापस ले ली।
इसके बाद सोनाली ने एक वकील की बहन मधु श्रीवास्तव से जमानत लगवाई, लेकिन जब मधु ने भी जमानत वापस ले ली, तो केदार डाबी नामक एक व्यक्ति ने सोनाली की जमानत करवा दी।
केदार डाबी पर पहले से ही फर्जी जमानत देने के आरोप लगे हैं।
हाई कोर्ट ने उसे स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वह भविष्य में किसी की जमानत नहीं करवाएगा, लेकिन उसने सोनाली के लिए फर्जी दस्तावेज पेश कर जमानत दिलवाई।
जब यह मामला सामने आया, तो पुलिस ने केदार डाबी और सोनाली अरोरा को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
इंदौर क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस ने संयुक्त रूप से इस मामले में कार्रवाई की है।
केदार डाबी और सोनाली अरोरा के अलावा मधु श्रीवास्तव के खिलाफ भी धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के मामले दर्ज किए गए हैं।
पुलिस का कहना है कि सोनाली ने जानबूझकर फर्जी जमानत ली थी, जिससे वह कानूनी कार्रवाई से बच सके।
अब कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

क्या है कल्पेश याग्निक आत्महत्या केस
कल्पेश याग्निक मध्य प्रदेश के एक प्रतिष्ठित पत्रकार थे।
साल 2018 में कल्पेश याग्निक जिस अखबार में काम करते थे, उसी दफ्तर में आत्महत्या कर ली थी। उस समय यह मामला काफी सुर्खियों में था।
मृतक कल्पेश याग्निक के साथ काम कर चुकी मुंबई निवासी महिला सलोनी अरोड़ा पर ब्लैकमेल करने सहित अन्य आरोप लगे थे, जिसे पुलिस ने मुंबई से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
करीब 1 साल बाद साल 2019 में सलोनी को कोर्ट से जमानत मिल गई थी।