Indore Couple Missing: इंदौर के एक दंपति, जो हनीमून पर मेघालय के शिलॉन्ग घूमने गए थे, पिछले 6 दिनों से लापता हैं।
शिलॉन्ग पुलिस ने उनकी तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें उनके दो बैग एक खाई के पास झाड़ियों में मिले।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सांसद शंकर लालवानी बुधवार सुबह शिलांग पहुंच हैं।
लालवानी ने बताया कि यहां वे लापता ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी के परिजन से मिलकर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे।
क्या है पूरा मामला
इंदौर के कपल राजा रघुवंशी और उनकी पत्नी सोनम, 20 मई को इंदौर से बेंगलुरु होते हुए गुवाहाटी पहुंचे थे।
23 मई को वे शिलॉन्ग के लिए रवाना हुए और एक एक्टिवा बाइक किराए पर ली।
24 मई से उनके मोबाइल बंद हैं और परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ।
उनकी बाइक सोहरारिम इलाके में लावारिस मिली, जो दुनिया के सबसे अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में से एक है।
पुलिस को उनके दो बैग खाई के पास मिले, लेकिन अब तक दंपति का कोई सुराग नहीं मिला।

50 लोगों की टीम लगी है तलाश में
मेघालय पुलिस ने बताया कि दंपति की आखिरी लोकेशन मावलाखाइट गांव के पास डबल डेकर रूट पर मिली थी।
इस इलाके में 50 से ज्यादा लोगों की टीम सर्च ऑपरेशन में जुटी है, जिसमें स्थानीय गांव वाले और पुलिसकर्मी शामिल हैं।
पहले भी लापता हुए लोग फिर मिले शव
मार्च 2024 में एक पर्यटक इसी डबल डेकर रूट पर लापता हुआ था, जिसका शव तीन दिन बाद मिला था।
इसी साल एक हंगेरियन पर्यटक की भी इसी इलाके में मौत हो गई थी।
मेघालय सरकार ने पर्यटकों को सलाह दी है कि वे इस इलाके में अकेले न जाएं और हमेशा गाइड साथ रखें।
राजनीतिक स्तर पर चर्चा
- मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा से बात की है।
- केंद्रीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने गृहमंत्री अमित शाह को मामले की जानकारी दी।
- सांसद शंकर लालवानी भी शिलॉन्ग पहुंच चुके हैं और वहां की पुलिस के साथ मिलकर खोजबीन में लगे हुए हैं।

अभी भी जारी है तलाश
पुलिस का मानना है कि दंपति जंगल में कहीं फंस गए होंगे या किसी दुर्घटना का शिकार हुए होंगे।
हालांकि, अपराध की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा।
इंदौर पुलिस भी शिलॉन्ग पुलिस के साथ मिलकर जांच कर रही है।

क्या होता है लिविंग रूट ब्रिज?
लिविंग रूट ब्रिज यानी ऐसा पुल जो पेड़ की जड़ों से तैयार किया गया हो।
इन पुलों को रबर के पेड़ की मोटी जड़ों (जिसे वैज्ञानिक भाषा में Ficus elastica कहते हैं) को एक किनारे से दूसरे किनारे तक फैलाकर बनाया जाता है।
इन जड़ों को धीरे-धीरे कई सालों तक एक खास दिशा में मोड़ते हैं, ताकि वह पुल का आकार ले सके।
इसे बनाने में 15 से 20 साल लगते हैं, लेकिन एक बार बन जाने के बाद ये पुल 500 साल तक भी टिक सकते हैं।
कहां हैं ये पुल?
- मेघालय का सबसे लंबा लिविंग रूट ब्रिज 175 फीट लंबा है।
- यहां अलग-अलग गांवों में लगभग 100 या उससे ज्यादा लिविंग रूट ब्रिज हैं।
- लिविंग रूट ब्रिज मेघालय के चेरापूंजी, मावलीननॉन्ग, नोंग्रियात और जयंतिया हिल्स जैसे इलाकों में फेमस हैं।
नोंग्रियात गांव में दो मंजिला पुल के पास लापता हुआ था कपल
इनमें सबसे मशहूर है “डबल डेकर रूट ब्रिज” जो दो मंजिला पुल की तरह दिखता है।
यह पुल नोंग्रियात गांव में मौजूद है और देखने में बेहद खूबसूरत लगता है।
इसी वजह से यहां पर्यटकों की भारी भीड़ आती है।
इंदौर का लापता कपल भी इसी पुल को देखने गया था और फिर लापता हो गया।