Jagdeep Dhankhar Controversy: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में स्वास्थ्य समस्याओं को इस्तीफे का मुख्य कारण बताया।
74 वर्षीय धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया।
क्या थी इस्तीफे की वजह?
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे के पत्र में लिखा –
“स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, धनखड़ पिछले कुछ महीनों से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे।
मार्च 2025 में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था।

उस समय उन्हें कार्डियक समस्याओं के लिए इलाज दिया गया और 12 मार्च को डिस्चार्ज किया गया।
हालांकि, उनकी तबीयत पूरी तरह ठीक नहीं हुई, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें तनाव से दूर रहने की सलाह दी।
संसद के मानसून सत्र के बीच में दिया इस्तीफा
जगदीप धनखड़ देश के पहले उपराष्ट्रपति हैं, जिन्होंने संसद के सत्र के बीच में ही इस्तीफा दिया है।
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, और उनके इस्तीफे के बाद अब नए सभापति का चुनाव होगा।
त्याग पत्र में धनखड़ ने क्या लिखा
माननीय राष्ट्रपति जी,
सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा, जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला है, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। गहरी श्रद्धा और आभार के साथ,
जगदीप धनखड़…
— Vice-President of India (@VPIndia) July 21, 2025
पत्नी के जन्मदिन पर पत्रकारों को दी थी पार्टी
इसी साल जनवरी में धनखड़ ने नए उपराष्ट्रपति भवन में गृह प्रवेश किया था, जिसमें उन्होंने वृंदावन के कथावाचक से भागवत कथा करवाई थी।
20 जुलाई को उन्होंने अपनी पत्नी सुरेश धनखड़ के जन्मदिन पर संसद टीवी के पत्रकारों को पार्टी दी थी।
राजनीतिक जीवन में कई बार पद छोड़ चुके हैं धनखड़
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर लंबा रहा है, लेकिन वे अक्सर अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ देते थे।

उन्होंने राजस्थान सरकार में मंत्री पद, राजस्थान के राज्यपाल और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में काम किया, लेकिन इनमें से किसी भी पद पर उन्होंने पूरा कार्यकाल नहीं पूरा किया।
राजस्थान में हुआ जन्म
- जन्म: 18 मई, 1951
- जन्म स्थानः झुंझुनू, राजस्थान
- माता: केसरी देवी
- पिता: गोकलचंद
- शिक्षा: राजस्थान यूनिवर्सिटी से B.SC और LLB
- पत्नीः सुदेश धनखड़
- बेटी: कामना
वकालत से शुरू किया करियर
- 1990 में राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत शुरू की।
- 2019 तक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकालत की।
- राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे।
राजनीतिक जीवन
- 1989: झुंझुनू से जनता दल के लोकसभा सांसद चुने गए।
- 1990-1991: केंद्र की चंद्रशेखर सरकार में राज्य मंत्री रहे।
- 1991: कांग्रेस से जुड़े। अजमेर से लोकसभा चुनाव हार गए।
- 1993-1998: राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक रहे।
- 2003: भाजपा में शामिल हुए।
- 2008: विधानसभा चुनावों के लिए BJP की प्रचार समिति के सदस्य थे।
- 2016: भाजपा के विधि एवं कानूनी मामलों के विभाग का नेतृत्व किया।
- 2019: पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
- 11 अगस्त 2022: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।

विपक्ष के साथ तनाव भरे रिश्ते
धनखड़ के कार्यकाल में विपक्ष उन पर राज्यसभा में पक्षपात का आरोप लगाता रहा।
विपक्षी दलों का मानना था कि वे सिर्फ सत्ता पक्ष के सांसदों को ही बोलने का मौका देते हैं और विपक्ष की आवाज़ दबाते हैं।
दिसंबर 2024 में तो उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी लाया गया था, जो तकनीकी कारणों से खारिज हो गया।
🚨 “मैं ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष को जितना समय चाहिए, उतनी देर तक चर्चा सुनिश्चित करूंगा।”
– जगदीप धनखड़ (आज सुबह)तो क्या यही वजह है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया?
क्या नरेंद्र मोदी सरकार को अब सच बोलना भी बर्दाश्त नहीं?#JagdeepDhankhar #उपराष्ट्रपति pic.twitter.com/AEhQUagNDh— Deepak Khatri (@Deepakkhatri812) July 21, 2025
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के विवादित बयान और विवाद
जगदीप धनखड़ अपने स्पष्टवादी और कई बार विवादास्पद बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं।
राजनीतिक विरोधियों और न्यायपालिका पर उनकी टिप्पणियों ने अक्सर बहस छेड़ी है।
जगदीप धनखड़ के बयान अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। चाहे वह न्यायपालिका हो, राजनीतिक विरोधी हों या संवैधानिक मुद्दे, उनकी टिप्पणियां विवाद पैदा करती रही हैं।
आइए, उनके कुछ चर्चित बयानों और विवादों पर नजर डालते हैं।
1. ममता बनर्जी और बंगाल सरकार पर टिप्पणी
बंगाल के राज्यपाल रहते उन्होंने ममता सरकार पर “अराजकता और गुंडागर्दी” का आरोप लगाया।
2022 में धनखड़ ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा था कि “ममता सरकार एक खास वर्ग को ही मदद देती है, जबकि संविधान सबके साथ समान व्यवहार की बात करता है।”
उन्होंने बंगाल को “लोकतंत्र का गैस चैंबर” तक कह डाला था।
विवाद: TMC ने इसे राज्य के मतदाताओं का अपमान बताया और आरोप लगाया कि धनखड़ राज्यपाल के रूप में निष्पक्ष नहीं रहे।

2. संविधान की प्रस्तावना पर सवाल
धनखड़ ने संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष” और “अखंडता” शब्दों को जोड़े जाने पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, “ये शब्द नासूर हैं और उथल-पुथल पैदा करेंगे।”
धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि “संविधान का अनुच्छेद 142 एक परमाणु मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के पास 24 घंटे लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ मौजूद रहता है।”
उन्होंने NJAC (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग) को रद्द करने को “संसद की संप्रभुता पर हमला” बताया।
विवाद: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल समेत कई विधि विशेषज्ञों ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता में दखल बताया। विपक्ष ने इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया, जबकि BJP के समर्थकों ने इसका समर्थन किया।
3. जजों के खिलाफ सख्त टिप्पणी
जब एक जज के घर से नकदी बरामद हुई, तो धनखड़ ने कहा, “अब समय आ गया है कि ‘कीड़ों से भरे डब्बे’ और ‘कंकालों से भरी अलमारी’ को सार्वजनिक किया जाए।”
विवाद: यह बयान न्यायपालिका के भीतर असंतोष का कारण बना, क्योंकि कई लोगों ने इसे असंवैधानिक हस्तक्षेप माना।
4. 34 सांसदों का निलंबन
दिसंबर 2023 में राज्यसभा से 34 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया।
विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताया।
इस दौरान TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने धनखड़ की नकल उतारकर विवाद खड़ा कर दिया, जिस पर धनखड़ ने इसे “जातिगत अपमान” बताया।
5. कोचिंग सेंटर्स को लेकर चेतावनी
उन्होंने कोचिंग संस्थानों को “पोचिंग सेंटर” कहा और कहा कि ये “युवाओं के लिए गंभीर संकट बन गए हैं।”
विवाद: शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने इसे सामान्यीकरण बताया, जबकि कुछ ने कोचिंग उद्योग में सुधार की जरूरत पर सहमति जताई।
6. राज्यसभा में विपक्ष पर नाराजगी
उन्होंने विपक्ष को “लोकतंत्र का मजाक बनाने वाला” कहा, जिसके बाद विपक्ष ने उन्हें “पक्षपाती” बताया।
7. किसानों पर विवादित बयान
2023 में उन्होंने कहा कि “किसान आंदोलन करने वाले असली किसान नहीं हैं,” जिस पर किसान नेताओं ने नाराजगी जताई।
8. ट्रम्प के दावे पर
दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो भारत को यह निर्देश दे सके कि उसे अपने मामलों को कैसे संभालना है।
9. धर्मांतरण पर
देश में शुगर-कोटेड फिलॉसफी बेची जा रही है। सनातन विष नहीं फैलाता, सनातन स्व शक्तियों का संचार करता है।

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भले ही स्वास्थ्य कारणों से था, लेकिन उनका कार्यकाल कई विवादों से भरा रहा।
अब देश एक नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी करेगा, जो राज्यसभा की जिम्मेदारियों को संभालेंगे।
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