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मध्य प्रदेश की अदालतों में डॉ. अंबेडकर की तस्वीर होंगी अनिवार्य, कर्नाटक के बाद MP में भी लागू हुआ नियम

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।
Dr Ambedkar Image in mp court: मध्य प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए राज्य की सभी अदालतों में डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाने का आदेश दिया है।
यह निर्णय कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है, जहां पहले से ही कोर्टरूम में डॉ. अंबेडकर की तस्वीर लगी हुई है।
मध्य प्रदेश के विधि एवं विधायी कार्य विभाग ने इस संबंध में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया है।

क्या है पूरा मामला?

मध्य प्रदेश में ओबीसी अधिवक्ता कल्याण संघ ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि कर्नाटक की तर्ज पर प्रदेश की सभी अदालतों में डॉ. अंबेडकर की तस्वीर लगाई जाए।

इस मांग के बाद विधि विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमति लेकर हाई कोर्ट को पत्र भेजा।

सीएम ऑफिस का मेल लगाकर कोर्ट को भेजा पत्र

एमपी के लॉ डिपार्टमेंट ने इस संबंध में हाईकोर्ट को पत्र भेजा है।

इस पत्र के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय का ईमेल और ओबीसी अधिवक्ता कल्याण संघ, जबलपुर का पत्र भी जोड़ा गया है।

संघ के अध्यक्ष परमानंद साहू और वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा कि यह मांग संवैधानिक समानता के आधार पर की गई है।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने पहले ही लागू किया था यह नियम

इससे पहले, कर्नाटक हाई कोर्ट ने 20 जून को एक आदेश जारी कर सभी न्यायालय कक्षों में डॉ. अंबेडकर की तस्वीर लगाने का निर्णय लिया था।

मध्य प्रदेश सरकार ने भी अब इसी मॉडल को अपनाने का फैसला किया है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?

डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे और उनका योगदान न्यायिक व्यवस्था में अहम रहा है।

अदालतों में उनकी तस्वीर लगाने से न्यायिक प्रक्रिया में उनके योगदान को सम्मान मिलेगा।

इसके अलावा, यह कदम सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है।

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