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MP में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर बवाल: राहुल गांधी ने जताई नाराजगी तो पटवारी ने दिया ये बयान

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Rahul Gandhi-Jitu Patwari: मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी द्वारा जिला अध्यक्षों की घोषणा के बाद से ही पार्टी के भीतर ही विरोध और नाराजगी का माहौल है।

इस मामले ने अब इतना तूल पकड़ लिया है कि पार्टी के बड़े नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भी इस पर नाराजगी जतानी पड़ी है।

राहुल गांधी ने साफ कहा है कि जिला अध्यक्षों के चयन को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें मध्य प्रदेश से ही आई हैं और यहां जो गलतियां हुई हैं, वे अन्य राज्यों में नहीं होनी चाहिए।

राहुल गांधी सोमवार को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित कर रहे थे।

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यह बैठक ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत झारखंड, ओडिशा, पंजाब और उत्तराखंड के जिला अध्यक्षों के चयन के लिए बनाए गए पर्यवेक्षकों (ऑब्जर्वर्स) के साथ थी।

इसी दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश के हालात पर चिंता जताई।

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16 अगस्त को कांग्रेस के 71 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की लिस्ट जारी

मध्य प्रदेश में 16 अगस्त को कांग्रेस के 71 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की लिस्ट जारी की गई थी।

इसके बाद से ही प्रदेश के कई जिलों से लेकर राजधानी भोपाल और दिल्ली में भी पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए।

इन्हीं विरोधों और शिकायतों ने राहुल गांधी का ध्यान खींचा है।

जीतू पटवारी ने मानी बात, कहा- “सुधार के नजरिए से देखें”

राहुल गांधी की नाराजगी पर मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रतिक्रिया दी है।

पटवारी ने राहुल की बात को सही ठहराते हुए कहा कि प्रदेश में वास्तव में कुछ शिकायतें आई हैं।

उन्होंने कहा, “जब कोई नई व्यवस्था बनती है तो उसमें कुछ कमियां हो सकती हैं, उन्हें सुधार के नजरिए से देखना चाहिए।”

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पटवारी ने बताया कि राहुल गांधी दूसरे राज्यों के पर्यवेक्षकों को यह समझा रहे थे कि अगर रिपोर्ट में कोई कमी रह जाती है और उसके आधार पर नतीजे निकाले जाते हैं तो उसकी शिकायतें होती हैं।

उन्होंने कहा, “मतलब यह है कि आपने अच्छा काम किया, लेकिन थोड़ा और बेहतर करना था। मैं राहुल जी की चिंता को वाजिब मानता हूं।”

पटवारी ने यह भी कहा कि कांग्रेस एक परिवार की तरह है और सबकी भावनाओं का सम्मान करना पार्टी का दायित्व है।

अगर किसी फैसले से शिकायत मिलती है तो उसे सुनना भी पार्टी की जिम्मेदारी है।

उन्होंने खुद को “सुधारवादी” बताते हुए भाजपा पर “तानाशाह” होने का आरोप लगाया।

“हर छह महीने में होगी कार्यों की समीक्षा”

जीतू पटवारी ने एक अहम घोषणा करते हुए बताया कि कांग्रेस पार्टी में हर छह महीने में समीक्षा की एक व्यवस्था है।

इसके तहत यह देखा जाएगा कि प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिला अध्यक्ष तक कैसा काम कर रहे हैं।

क्या वे पार्टी के लक्ष्यों को पूरा कर पा रहे हैं या नहीं?

इस समीक्षा के आधार पर ही आगे के फैसले लिए जाएंगे।

उन्होंने साफ कहा, “हर पद पर बैठे व्यक्ति के काम का आकलन होगा कि वह उसे दिए गए कार्य को कितना कर रहा है। अगर नहीं कर रहा है तो स्वाभाविक है कि पार्टी को उस पद पर काम करने वाले लोगों की जरूरत है।”

यह बयान उन कार्यकर्ताओं के लिए एक स्पष्ट चेतावनी की तरह है जो जिम्मेदारी नहीं निभा पाएंगे।

मध्य प्रदेश में क्यों है इतना विरोध?

कांग्रेस के ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत सबसे पहले गुजरात, फिर हरियाणा और उसके बाद मध्य प्रदेश में जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा की गई।

लेकिन, सबसे ज्यादा शिकायतें और विरोध सिर्फ मध्य प्रदेश से ही सामने आए हैं।

मुख्य रूप से दो बातों पर सबसे ज्यादा हो-हल्ला हुआ है:

  1. बाहरी जिलों से नेताओं को अध्यक्ष बनाना: कई जिलों में ऐसे नेताओं को जिला अध्यक्ष बना दिया गया है जो उस जिले के मूल निवासी नहीं हैं। जैसे, आगर जिले के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े को इंदौर ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया, जिसके विरोध में इंदौर से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन हुए। इसी तरह, गुना की रहने वाली प्रतिभा रघुवंशी को खंडवा सिटी की अध्यक्ष बनाए जाने पर स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हैं।

  2. एक व्यक्ति एक पद के नियम की अनदेखी: कुछ जगहों पर पहले से ही बड़े पदों पर काबिज नेताओं को जिला अध्यक्ष का पद भी दे दिया गया है। जैसे, सतना के विधायक सिद्धार्थ कुशवाह, जो पहले से ही मेयर रह चुके हैं और ओबीसी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, उन्हें सतना शहर का अध्यक्ष बना दिया गया। कार्यकर्ता इस पर “एक व्यक्ति एक पद” के नियम को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

इसके अलावा, भोपाल, डिंडोरी, बुरहानपुर और देवास जैसे कई जिलों में नियुक्तियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं, इस्तीफे दिए गए हैं और गंभीर आरोप भी लगे हैं

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