Rawatpura Sarkar: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज और उसके चेयरमैन रविशंकर महाराज (जिन्हें रावतपुरा सरकार कहा जाता है) के खिलाफ रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया है।
आरोप है कि कॉलेज ने नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की टीम को घूस देकर मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलवाने की कोशिश की।
इस मामले में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 7 राज्यों के 36 डॉक्टरों और अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
क्या है पूरा मामला?
30 जून को NMC की एक टीम नवा रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर (SRIMSR) के निरीक्षण के लिए पहुंची।
इस दौरान कॉलेज के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी ने NMC टीम लीडर डॉ. मंजप्पा को सीधे पैसे का ऑफर दिया, ताकि कॉलेज के पक्ष में रिपोर्ट बनाई जा सके।

हवाला के जरिए 55 लाख रुपये की रिश्वत
डॉ. मंजप्पा ने इस पैसे को बांटने की जिम्मेदारी डॉ. सतीश ए को सौंपी।
हवाला ऑपरेटर के जरिए 55 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर की गई।
NMC टीम की एक अन्य सदस्य डॉ. चैत्रा और अन्य लोगों को भी इस डील में शामिल किया गया।
CBI ने कैसे पकड़ा?
CBI पहले से ही NMC से जुड़े भ्रष्ट अधिकारियों पर नजर बनाए हुए थी।
जैसे ही रिश्वत की डील हुई, CBI ने बेंगलुरु में छापा मारकर 55 लाख रुपये जब्त किए।
इसमें से 16.62 लाख रुपये डॉ. चैत्रा के पति रविंद्रन से और 38.38 लाख रुपये डॉ. सतीश ए से बरामद किए गए।
गिरफ्तार किए गए आरोपी
- डॉ. मंजप्पा (NMC टीम लीडर)
- डॉ. चैत्रा (NMC टीम सदस्य)
- डॉ. अशोक
- अतुल कुमार तिवारी (SRIMSR डायरेक्टर)
- डॉ. सतीश ए
- रविंद्रन (डॉ. चैत्रा के पति)
इन सभी को 1-2 जुलाई को गिरफ्तार कर रायपुर लाया गया और कोर्ट में पेश किया गया।
7 राज्यों के 36 आरोपियों पर FIR
इस मामले में उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के 36 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
इनमें NMC अधिकारी, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधक और दलाल शामिल हैं।
घोटाले के मुख्य आरोप:
- फर्जी फैकल्टी की नियुक्ति
- बायोमेट्रिक रिकॉर्ड में हेराफेरी
- NMC निरीक्षण प्रक्रिया में धांधली
- स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा गोपनीय दस्तावेज लीक करना
राजस्थान में घूस के 75 लाख रुपये से बनवाया हनुमान मंदिर
खबरों के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने 75 लाख रुपये की रिश्वत लेकर राजस्थान के सवाई माधोपुर में हनुमान मंदिर बनवाया।
यह पैसा भी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के लिए ली गई रिश्वत का हिस्सा था।
एफआईआर में दर्ज शिकायत के अनुसार, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) के संयुक्त संचालक डॉ. जीतू लाल मीणा को डॉ. वीरेंद्र कुमार ने भारी रिश्वत दी।
इस रिश्वत के पैसे से राजस्थान के सवाई माधोपुर में 75 लाख रुपये की लागत से एक हनुमान मंदिर बनवाया गया।
यह पैसा हवाला के जरिए ठेकेदार भीकालाल को दिया गया था।

मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने के बदले 2.5 करोड़ रुपये की रिश्वत
इस मामले में यह भी सामने आया है कि विशाखापत्तनम के गायत्री मेडिकल कॉलेज को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) से मान्यता दिलाने के बदले 2.5 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई।
यह रकम दिल्ली के हवाला चैनल के जरिए भेजी गई। इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी चंदन कुमार ने गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल को गोपनीय जानकारी लीक की।
इस जानकारी का इस्तेमाल कर मयूर रावल और टेक-इन्फी सॉल्यूशन्स के आर. रणदीप नायर ने कई मेडिकल कॉलेजों को NMC की जांच से पहले ही सूचना दे दी, ताकि वे फर्जी तैयारी कर सकें।
इस घोटाले में स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (गुजरात), नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (मेरठ) और अन्य संस्थान शामिल हैं।
किन अधिकारियों और संस्थानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज?
इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कई अधिकारियों और निजी मेडिकल संस्थानों के प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें शामिल हैं:
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी:
- डॉ. जीतू लाल मीणा (नेशनल हेल्थ अथॉरिटी)
- पूनम मीणा, धरमवीर, पीयूष माल्याण (स्वास्थ्य मंत्रालय)
- चंदन कुमार (गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में)
निजी संस्थानों के अधिकारी:
- मयूर रावल (गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर)
- रविशंकर महाराज (रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट)
- डॉ. मंजप्पा, डॉ. चैत्रा (NMC इंस्पेक्शन टीम)
अब क्या होगा आगे?
CBI अब तक 6 आरोपियों से पूछताछ कर रही है और 7 जुलाई तक जांच जारी रखेगी।
इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं, क्योंकि कई बड़े नाम जुड़े होने की आशंका है।

कौन हैं रावतपुरा सरकार?
इस मामले में रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, रायपुर और उसके चेयरमैन संत रविशंकर महाराज का नाम भी सामने आया है।
रावतपुरा सरकार के नाम से मशहूर रविशंकर महाराज मध्य प्रदेश के भिंड जिले के रावतपुरा गांव में स्थित एक प्रसिद्ध आश्रम के संचालक हैं।
उनके भक्तों की संख्या लाखों में है, और राजनीतिक हस्तियां भी अक्सर उनके दर्शन करने पहुंचती हैं।
रविशंकर महाराज ने रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट बनाया है, जिसके तहत कई स्कूल, कॉलेज और अस्पताल चलाए जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी भी स्थापित की गई है।
यह मामला स्वास्थ्य शिक्षा और धार्मिक संस्थानों से जुड़े भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है।
अधिकारियों द्वारा रिश्वत के पैसे से मंदिर बनवाने का आरोप चौंकाने वाला है।
जांच एजेंसियों द्वारा इस मामले में सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।