Golu Shukla son Rudraksh: उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में एक बार फिर VIP संस्कृति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
भाजपा विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष शुक्ला ने मंदिर के गर्भगृह में जबरन प्रवेश किया, जबकि आम श्रद्धालु लंबी कतार में खड़े होकर दूर से ही दर्शन कर पा रहे थे।
इस दौरान मंदिर कर्मचारी आशीष दुबे ने रुद्राक्ष को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्हें धमकाया गया।
क्या था पूरा मामला?
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रविवार रात को विधायक गोलू शुक्ला की कांवड़ यात्रा उज्जैन पहुंची।
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सोमवार तड़के करीब 2:30 बजे भस्म आरती के बाद गोलू शुक्ला अपने समर्थकों और बेटे रुद्राक्ष के साथ मंदिर पहुंचे।
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मंदिर के नियमों के विपरीत, रुद्राक्ष ने गर्भगृह में प्रवेश करने की कोशिश की।
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जब कर्मचारी आशीष दुबे ने उन्हें रोका, तो विधायक और उनके साथियों ने उनसे बहस की और अंततः गर्भगृह में घुसकर पूजा-अर्चना की।
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इस दौरान मंदिर का लाइव प्रसारण भी कुछ देर के लिए बंद रहा, जिससे सवाल उठ रहे हैं।
पहले भी हुआ है ऐसा विवाद
यह पहली बार नहीं है जब रुद्राक्ष शुक्ला मंदिर के नियमों को तोड़कर दर्शन करने पहुंचे हैं।
चार साल पहले भी उन्होंने महाकाल मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा की थी और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थी।

इसके अलावा, तीन महीने पहले देवास की माता टेकरी पर भी रुद्राक्ष ने रात में जबरन मंदिर खुलवाने की कोशिश की थी, जिसमें पुजारी से उनकी तकरार हुई थी।
इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और प्रदेश की राजनीति में भी काफी हलचल हुई थी।
जिसके बाद रुद्राक्ष शुक्ला ने देवास मंदिर में जाकर पुजारियों से माफी भी मांगी थी।
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महाकाल मंदिर के नियम क्या कहते हैं?
महाकाल मंदिर में गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं का प्रवेश सख्त वर्जित है। यहां केवल पुजारी ही प्रवेश कर सकते हैं।
VIP श्रद्धालुओं को भी नंदी की मूर्ति के पास से ही दर्शन करने की अनुमति है।
ये नियम भगवान महाकाल की मूर्ति की सुरक्षा और धार्मिक अनुशासन को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।
आम श्रद्धालुओं को क्या परेशानी हो रही है?
सावन के महीने में महाकाल मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
आम भक्तों को डेढ़ किलोमीटर लंबी कतार में लगकर 200 फीट दूर से ही दर्शन करने पड़ते हैं, जबकि VIP लोग नियमों को ताक पर रखकर सीधे गर्भगृह तक पहुंच जाते हैं।
इससे श्रद्धालुओं में नाराजगी है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी?
इस मामले में विधायक गोलू शुक्ला से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और न ही कोई जवाब दिया।
मंदिर प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि क्या धार्मिक स्थलों पर VIP संस्कृति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए?
जहां आम भक्त घंटों लाइन में लगते हैं, वहीं राजनेताओं और उनके परिवारों के लिए नियमों में ढील क्यों दी जाती है?
महाकाल मंदिर प्रशासन को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।