Bhopal Public Toilet: भोपाल नगर निगम ने शहर के सार्वजनिक शौचालयों (पब्लिक टॉयलेट्स) के इस्तेमाल का शुल्क बढ़ा दिया है।
अब लोगों को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए 6 रुपए की जगह 10 रुपए देने होंगे।
इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है और कहा है कि जहां 5 रुपए में गरीबों को भोजन मिलता है, वहीं टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए दोगुना पैसा देना पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला?
भोपाल नगर निगम की मेयर इन कौंसिल (एमआईसी) ने हाल ही में एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें सुलभ शौचालयों के इस्तेमाल का शुल्क बढ़ाकर 10 रुपए कर दिया गया। इससे पहले यह शुल्क 6 रुपए था।

नगर निगम का कहना है कि यह बढ़ोतरी लंबे समय से लंबित थी और इसका उद्देश्य बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
हालांकि, कांग्रेस ने इस फैसले का जोरदार विरोध किया है।
पार्षद योगेंद्र सिंह गुड्डू चौहान ने कहा,
“सरकार गरीबों को 5 रुपए में खाना दे रही है, लेकिन टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए 10 रुपए लिए जा रहे हैं। यह गरीबों पर अन्याय है।”
स्वच्छता अभियान पर पड़ सकता है बुरा असर
भोपाल को स्वच्छता के मामले में देश के शीर्ष शहरों में गिना जाता है, लेकिन इस फैसले से स्वच्छ भारत मिशन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अगर लोगों को टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे, तो वे खुले में शौच करने को मजबूर हो सकते हैं।

पार्षद चौहान ने कहा,
“नगर निगम को चाहिए कि वह सार्वजनिक शौचालयों की संख्या बढ़ाए, न कि उनका शुल्क। शहर में पहले से ही 43% कम टॉयलेट हैं।”
नगर निगम का तर्क
नगर निगम के एमआईसी सदस्य आरके सिंह बघेल ने बताया कि कई सालों से शुल्क 6 रुपए ही था और अब इसे बढ़ाना जरूरी हो गया था।
उन्होंने कहा, “यह कोई बोझ नहीं है, बल्कि बेहतर सुविधाएं देने के लिए जरूरी कदम है।”
हालांकि, आम जनता इस फैसले से नाराज है।
कई लोगों ने कहा कि “अगर खाना 5 रुपए में मिल सकता है, तो टॉयलेट का शुल्क इतना ज्यादा क्यों?”

24 जुलाई को होगी बैठक, कांग्रेस करेगी विरोध
24 जुलाई को नगर निगम की परिषद बैठक होगी, जिसमें यह प्रस्ताव फिर से रखा जाएगा।
कांग्रेस ने कहा है कि वह इस बैठक में इस फैसले का विरोध करेगी।
पार्टी का कहना है कि यह फैसला गरीबों के खिलाफ है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।

भोपाल में पब्लिक टॉयलेट के शुल्क में बढ़ोतरी ने आम लोगों को नाराज कर दिया है।
जहां एक ओर सरकार सस्ते भोजन की योजना चला रही है, वहीं दूसरी ओर बुनियादी सुविधाओं का इस्तेमाल महंगा हो रहा है।
अब देखना होगा कि नगर निगम इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।