Parthiv Shivling in Sawan: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
इस दौरान पार्थिव शिवलिंग (मिट्टी के शिवलिंग) की पूजा करने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, एक बार पार्थिव शिवलिंग की पूजा सौ साल की तपस्या के बराबर फल देती है।
यह पूजा विशेष रूप से रोग, दरिद्रता, विवाह में रुकावट और बाधाओं को दूर करने में सहायक है।
पार्थिव शिवलिंग क्या है?
‘पार्थिव’ का अर्थ है मिट्टी से बना हुआ।
यह शिवलिंग एक दिन के लिए बनाया जाता है और पूजा के बाद जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
इसे कभी भी स्थायी रूप से नहीं रखा जाता।

शिवलिंग बनाने की विधि:
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पवित्र मिट्टी (गंगा तट, तुलसी के पौधे के नीचे की मिट्टी या शुद्ध काली मिट्टी) लें।
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इसमें गंगाजल मिलाकर गूंथ लें।
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अपने हाथों से अंगूठे और उंगलियों की सहायता से शिवलिंग का आकार दें।
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इसे तांबे या मिट्टी की थाली में स्थापित करें।

पार्थिव शिवलिंग पूजा विधि
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स्नान: शिवलिंग को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) और फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
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श्रृंगार: बेलपत्र, धतूरा, भस्म, सफेद फूल, भांग, चंदन और अक्षत चढ़ाएं।
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मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
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आरती: दीप जलाकर शिव आरती करें।
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विसर्जन: पूजा के बाद शिवलिंग को बहते जल (नदी, तालाब) में विसर्जित कर दें।

सावन में पार्थिव पूजा का विशेष महत्व
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सावन में शिवजी की कृपा सबसे जल्दी मिलती है।
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इस पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कुंडली के दोष शांत होते हैं।
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कर्ज, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
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विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।

21 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार और एकादशी का संयोग
21 जुलाई 2025 को सावन का दूसरा सोमवार है, जो कामिका एकादशी के साथ पड़ रहा है।
यह संयोग अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
एकादशी का महत्व:
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इस दिन व्रत रखने और विष्णु भगवान की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
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शिव और विष्णु की संयुक्त पूजा से दोगुना पुण्य प्राप्त होता है।