Thailand Cambodia Shiv temple: यूक्रेन-रूस ईरान-इजरायल और भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद दुनिया अब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रही खींचतान को देख रहा है।
आपको जानकर हैरानी होगी की दोनों देशों में सीमा विवाद के साथ ही एक शिव मंदिर भी इस लड़ाई की वजह है।
1000 साल पुराना शिव मंदिर लड़ाई की वजह
प्रीह विहियर शिव मंदिर, जो 1,000 साल पुराना है, आज थाइलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद का केंद्र बना हुआ है।
एक समय जहाँ भगवान शिव की आराधना के लिए बना यह मंदिर श्रद्धालुओं से गुलज़ार रहता था, आज वहाँ गोलियों की आवाज़ गूंजती है।
इस विवाद ने थाइलैंड की राजनीति को भी हिला दिया है।
आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और दोनों देशों के बीच चल रहे इस जंग की पूरी कहानी।
प्रीह विहियर मंदिर का इतिहास
यह मंदिर 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच खमेर साम्राज्य के शासनकाल में बनाया गया था।
उस समय हिंदू धर्म इस क्षेत्र में फल-फूल रहा था और यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित था।
मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है, जिसमें खमेर शैली की बारीक नक्काशी देखने को मिलती है।
विवाद क्यों शुरू हुआ?
यह मंदिर थाइलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित है।
दोनों देशों ने इस पर अपना दावा किया, जिसके चलते 1962 में यह मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में पहुंचा।
अदालत ने फैसला सुनाया कि मंदिर पर कंबोडिया का अधिकार है, लेकिन थाइलैंड ने इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।
2008 में UNESCO विश्व धरोहर घोषित
2008 में कंबोडिया ने इस मंदिर को UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल करवाया, जिससे विवाद और बढ़ गया।
2011 में दोनों देशों के बीच सैन्य झड़पें हुईं, जिसमें कई सैनिक मारे गए।
थाइलैंड-कंबोडिया विवाद की नई चिंगारी
28 मई को फिर से दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई।
इसके बाद कंबोडिया ने ICJ में शिकायत की, लेकिन थाइलैंड अदालत के फैसले को मानने को तैयार नहीं है।
थाइलैंड की राजनीति पर असर
इस विवाद ने थाइलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतर्न शिनावात्रा की सत्ता को भी हिला दिया।
उन पर आरोप लगा कि उन्होंने कंबोडिया के एक नेता से गोपनीय बातचीत की, जिसके बाद उन्हें संवैधानिक अदालत ने सस्पेंड कर दिया।
प्रीह विहियर मंदिर के बारे में 10 रोचक तथ्य
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शिव को समर्पित: यह मंदिर पूरी तरह से भगवान शिव की पूजा के लिए बनाया गया था।
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खमेर वास्तुकला: इसकी बनावट अंगकोर वाट जैसी है, जो खमेर कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
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UNESCO विश्व धरोहर: 2008 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया।
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525 मीटर की ऊँचाई: यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना हुआ है, जहाँ से अद्भुत नज़ारा दिखता है।
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5 स्तरों वाली संरचना: मंदिर में पाँच अलग-अलग स्तर हैं, जो धार्मिक महत्व रखते हैं।
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सैन्य महत्व: प्राचीन काल में यह एक सैन्य चौकी के रूप में भी इस्तेमाल होता था।
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रहस्यमयी शिलालेख: कुछ शिलालेख आज भी अनसुलझे हैं।
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प्राकृतिक सौंदर्य: यह मंदिर जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
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भारतीय प्रभाव: मंदिर की मूर्तियाँ और नक्काशी भारतीय हिंदू कला से प्रभावित हैं।
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दो देशों का विवाद: यह दुनिया का शायद एकमात्र मंदिर है, जिस पर दो देश लड़ रहे हैं।
प्रीह विहियर मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इतिहास, कला और राजनीति का भी गवाह है।
यह विवाद दिखाता है कि कैसे प्राचीन विरासत आधुनिक सीमा विवादों में फंस जाती है।
अब देखना यह है कि ICJ या ASEAN इस मामले को कैसे सुलझाते हैं।
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