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इस स्तंभ के गिरते ही खत्म हो जाएगा कलयुग, आखिर क्या है केदारेश्वर गुफा मंदिर का रहस्य

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Kedareshwar Cave Temple: सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का समय होता है। इस पवित्र महीने में देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र का केदारेश्वर गुफा मंदिर, जो अपने आप में एक अनोखा और रहस्यमयी मंदिर है।

यह मंदिर सिर्फ एक ही स्तंभ पर टिका हुआ है, जिसके पीछे एक पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है।

आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से।

हरिश्चंद्रगढ़ में स्थित है केदारेश्वर मंदिर

केदारेश्वर गुफा मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित हरिश्चंद्रगढ़ किले के अंदर बना हुआ है।

यह मंदिर 4,671 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है।

केदारेश्वर गुफा मंदिर, महाराष्ट्र
केदारेश्वर गुफा मंदिर, महाराष्ट्र

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता थोड़ा मुश्किल है, लेकिन आसपास के प्राकृतिक नजारे और झरने इस यात्रा को यादगार बना देते हैं।

एक ही स्तंभ पर टिका है मंदिर

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ एक स्तंभ पर टिका हुआ है।

मूल रूप से इस मंदिर में चार स्तंभ थे, लेकिन समय के साथ तीन स्तंभ गिर चुके हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ये चार स्तंभ चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग) का प्रतीक हैं।

  • सतयुग के समाप्त होने पर पहला स्तंभ गिरा।

  • त्रेतायुग के अंत में दूसरा स्तंभ गिरा।

  • द्वापरयुग के बाद तीसरा स्तंभ गिरा।

  • अब सिर्फ कलयुग का स्तंभ बचा हुआ है।

ऐसी मान्यता है कि जिस दिन यह आखिरी स्तंभ भी गिर जाएगा, उस दिन कलयुग समाप्त हो जाएगा और फिर से सतयुग की शुरुआत होगी।

कुछ लोग यह भी मानते हैं कि ये स्तंभ हर युग के साथ अपनी ऊंचाई बदलते रहते हैं।

पानी से घिरा हुआ है मंदिर

इस मंदिर के चारों तरफ ठंडे पानी का कुंड है, जिसमें झरने का पानी लगातार गिरता रहता है।

मंदिर के अंदर जाने के लिए भक्तों को इस पानी में से गुजरना पड़ता है, जो काफी ठंडा होता है।

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस पानी में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

स्वयंभू शिवलिंग और ऐतिहासिक महत्व

इस मंदिर में स्थित शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित (स्वयंभू) है।

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 6वीं शताब्दी में कलचुरी राजवंश ने करवाया था, लेकिन हरिश्चंद्रगढ़ की गुफाएं 11वीं शताब्दी से जुड़ी हुई हैं।

सावन में विशेष पूजा

सावन के महीने में यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं।

मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

केदारेश्वर गुफा मंदिर, महाराष्ट्र
केदारेश्वर गुफा मंदिर, महाराष्ट्र

केदारेश्वर गुफा मंदिर न सिर्फ अपनी अनोखी संरचना, बल्कि रहस्यमयी मान्यताओं के कारण भी प्रसिद्ध है।

अगर आपको रोमांचक और आध्यात्मिक यात्राओं का शौक है, तो यह मंदिर आपके लिए एक बेहतरीन जगह हो सकती है।

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