Ganesh Chaturthi chandra dosh: गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
इस दिन घरों और पंडालों में भगवान गणेश की स्थापना और पूजा की जाती है। ये उत्सव 10 दिन तक चलता है।
लेकिन क्या आपको पता है इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने की सख्त मनाही होती है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद देखने से व्यक्ति पर झूठा कलंक (मिथ्या दोष) लग सकता है।
आइए, जानते हैं इसकी पूरी कहानी और इस दोष से बचने का उपाय…
चंद्रदेव का अहंकार, उड़ाया गणेश जी का मजाक
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान गणेश अपने वाहन चूहे (मूषक) पर सवार होकर यात्रा कर रहे थे।
रास्ते में उन्हें कहीं से मोदक (लड्डू) का भोग लगा। भोजन का शौकीन होने के कारण, गणेश जी ने वहां रुककर उस भोग को खाना शुरू कर दिया। इतने में वहां से चंद्रदेव (चंद्रमा) गुजरे।
चंद्रमा अपने रूप और सौंदर्य के लिए जाने जाते थे और उन्हें इस बात का कुछ अहंकार भी था।
उन्होंने देखा कि एक विशालकाय शरीर और बड़े पेट वाले गणेश जी एक छोटे से चूहे पर बैठकर भोजन कर रहे हैं।
यह देखकर चंद्रमा को बहुत हंसी आई और वह जोर-जोर से हंसने लगे।
उन्होंने गणेश जी के शरीर की बनावट और उनकी सूंड का मजाक भी उड़ाया।

गणेश जी ने दिया श्राप
चंद्रमा के इस व्यवहार से गणेश जी को बहुत क्रोध आ गया।
उन्होंने चंद्रदेव को श्राप देते हुए कहा, “हे चंद्र! तुम्हें अपने रूप का इतना घमंड है? तुम एक सामान्य देवता होकर भी मेरा मजाक उड़ा रहे हो। मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि आज से तुम्हारा यह सुंदर रूप नष्ट हो जाएगा और तुम्हारी सारी कलाएं धूमिल हो जाएंगी। आज के बाद जो भी व्यक्ति तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा कलंक लगेगा।”
यह घटना भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन हुई थी, जिसे हम गणेश चतुर्थी के नाम से जानते हैं।
इस श्राप की वजह से इसे कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है।

चंद्रदेव की क्षमा याचना
गणेश जी का श्राप सुनते ही चंद्रदेव का अहंकार तुरंत टूट गया।
उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और वह गणेश जी के सामने नतमस्तक हो गए।
उन्होंने बार-बार क्षमा मांगी और अपने श्राप से मुक्ति के लिए प्रार्थना करने लगे।
चंद्रमा की करुण याचना और अन्य देवताओं के समझाने पर गणेश जी का क्रोध शांत हुआ।

हालाँकि, श्राप को पूरी तरह से वापस नहीं लिया जा सकता था, इसलिए भगवान गणेश ने इसका प्रभाव कम कर दिया।
उन्होंने कहा, “मेरा श्राप पूरी तरह से खत्म नहीं होगा। अब से केवल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन ही, जो व्यक्ति चंद्रमा के दर्शन करेगा, उसी पर मिथ्या कलंक लगेगा। बाकी दिनों में ऐसा नहीं होगा।”
तब से लेकर आज तक, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करना वर्जित माना जाता है।
श्रीकृष्ण पर भी लगा था झूठा कलंक: स्यमंतक मणि की कथा
इस श्राप की शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भगवान श्रीकृष्ण भी इस दोष से बच नहीं पाए।
कथाओं के अनुसार, द्वारका में सत्राजित नामक एक व्यक्ति के पास स्यमंतक नाम की एक अद्भुत और चमत्कारी मणि थी।
एक बार श्रीकृष्ण ने उस मणि को देखने की इच्छा जताई, लेकिन सत्राजित को शक हुआ कि कृष्ण उसकी मणि छीनना चाहते हैं।
कुछ समय बाद, सत्राजित के भाई प्रसेनजित उस मणि को पहनकर शिकार के लिए जंगल गए और वहां एक सिंह ने उनका वध कर दिया।
मणि जाम्बवंत नामक एक भालू के पास चली गई।
जब प्रसेनजित लौटकर नहीं आए तो लोगों ने यह अफवाह उड़ा दी कि श्रीकृष्ण ने ही मणि के लिए उनकी हत्या कर दी है।
दरअसल, गणेश चतुर्थी के दिन श्रीकृष्ण ने गलती से चंद्रमा के दर्शन कर लिए थे, जिसके कारण उन पर यह झूठा कलंक लगा।
बाद में, श्रीकृष्ण ने जाम्बवंत से युद्ध करके मणि वापस ली और सारे संशय दूर करके सच्चाई सामने लाए, जिससे उनका नाम मुक्त हो सका।
गलती से चंद्रमा देख लेने पर करें ये 11 शुभ उपाय
अगर गणेश चतुर्थी के दिन आपसे अनजाने में चंद्रमा के दर्शन हो जाएं, तो घबराएं नहीं।
शास्त्रों में इस दोष से बचने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं:
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गणेश व्रत का पालन: गणेश जी का व्रत रखें। मान्यता है कि यह दोष उन्हीं की लीला है और वही इसे दूर करेंगे।
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दान-पुण्य करें: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन दान करें। गरीबों की मदद करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
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मंत्र जाप: इस मंत्र का जाप करें – ‘सिंह: प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक:॥’ इससे चंद्रदर्शन का दोष दूर होता है।
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कथा श्रवण: श्रीकृष्ण, जाम्बवंत और स्यमंतक मणि की कथा को सुनें या पढ़ें।
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फलों से पूजा: तुरंत 5 प्रकार के फल जैसे केला, सेब, अनार, नाशपाती, अंगूर से गणेश जी की पूजा करें।
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सोना-चांदी दान: चंद्रमा को दिखाते हुए किसी जरूरतमंद को फल के साथ-साथ सोने या चांदी का दान करें।
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द्वितीया का चांद: मान्यता है कि अगर गलती से चतुर्थी का चांद देख लिया जाए, तो फिर हर महीने द्वितीया तिथि के चंद्रमा के दर्शन करने से यह दोष समाप्त हो जाता है।
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27 बुधवार का व्रत: लगातार 27 बुधवार (गणेश जी का दिन) का व्रत रखें और गणेश मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करें।
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दूर्वा चढ़ाएं: उसी दिन गणेश जी की पूजा करें और उन्हें 21 गांठों वाली दूर्वा (एक प्रकार की घास) अर्पित करें। इसे सर्वश्रेष्ठ उपाय माना गया है।
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भाद्र मास में नियमित दर्शन: जो व्यक्ति पूरे भाद्र मास में नियमित रूप से चंद्रमा के दर्शन करता है, उसे यह दोष नहीं लगता।
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व्रत करें: गणेश चतुर्थी का व्रत करने से भी इस कलंक के दोष से मुक्ति मिल जाती है।

इन सभी उपायों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्हें श्रद्धा और सच्चाई के साथ करें।
भगवान गणेश भक्त की श्रद्धा देखते हैं, न कि केवल दिखावे को। इससे आपके सारे संकट टल जाएंगे।