BCCI-Dream11 Contract: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सोमवार, 25 अगस्त को एक बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि उसके और फैंटेसी गेमिंग प्लेटफॉर्म ड्रीम-11 के बीच की 358 करोड़ रुपये की स्पॉन्सरशिप डील अब खत्म हो गई है।
BCCI के सेक्रेटरी देवजीत सैकिया ने इसकी पुष्टि की।
यह डील 2026 तक चलनी थी, लेकिन सरकार के एक नए कानून की वजह से इसे समय से पहले ही खत्म करना पड़ा।
BCCI ने यह भी साफ किया कि अब वह भविष्य में किसी भी ऑनलाइन गेमिंग कंपनी के साथ साझेदारी नहीं करेगा।
BCCI and Dream 11 are discontinuing their relationship after the Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025, was passed. BCCI will ensure not to indulge with any such organisations ahead in future: BCCI Secretary Devajit Saikia to ANI pic.twitter.com/RCJ5lTHvB3
— ANI (@ANI) August 25, 2025
सरकार के नए कानून ने तोड़ी डील की कमर
इस पूरे मामले की जड़ है सरकार द्वारा पास किया गया ‘ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025’।
इस बिल को 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई और अब यह एक कानून बन चुका है।
इस नए कानून में ‘रियल-मनी गेमिंग’ (पैसे लगाकर खेले जाने वाले गेम) पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
ड्रीम-11 का मुख्य बिजनेस ही इसी ‘रियल-मनी गेमिंग’ पर टिका था, जहां यूजर्स पैसे लगाते थे और जीतने पर नकद पुरस्कार पाते थे।
चूंकि यह बिजनेस मॉडल अब अवैध हो गया है, इसलिए ड्रीम-11 के लिए इस महंगी स्पॉन्सरशिप को जारी रख पाना मुश्किल हो गया।

डील तोड़ने पर कोई जुर्माना नहीं
दिलचस्प बात यह है कि कॉन्ट्रैक्ट में एक ‘स्पेशल क्लॉज’ (खास शर्त) थी।
इस शर्त के मुताबिक, अगर सरकार का कोई नया कानून स्पॉन्सर कंपनी के मुख्य बिजनेस को प्रभावित करता है, तो उसे डील तोड़ने पर कोई जुर्माना नहीं देना पड़ेगा।
इसी क्लॉज की बदौलत ड्रीम-11 बिना किसी आर्थिक नुकसान के इस करार से अलग हो गया।

BCCI अब टाटा-रिलायंस जैसी कंपनियों की तलाश करेगा
अब BCCI के सामने नए स्पॉन्सर की तलाश की चुनौती है।
BCCI जल्द ही एक नई टेंडर प्रक्रिया (निविदा) शुरू करेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा ग्रुप, रिलायंस और अडाणी ग्रुप जैसी बड़ी भारतीय कंपनियाँ इस स्पॉन्सरशिप के मजबूत दावेदार के तौर पर उभर सकती हैं।
टाटा पहले से ही IPL की स्पॉन्सरशिप कर चुका है, जबकि रिलायंस की जियो कंपनी का खेल प्रसारण में बड़ा निवेश है।
ड्रीम-11 2023 से भारतीय क्रिकेट टीम की ‘लीड स्पॉन्सर’ (मुख्य प्रायोजक) थी।
इस डील के तहत, कंपनी हर घरेलू मैच के लिए BCCI को 3 करोड़ रुपये और हर विदेशी मैच के लिए 1 करोड़ रुपये देती थी।
महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा और हार्दिक पांड्या जैसे बड़े क्रिकेटर इसके ब्रांड एंबेसडर थे।
ऑनलाइन गेमिंग बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी
22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। अब ये कानून बन गया है।
21 अगस्त 2025 को राज्यसभा ने और उससे एक दिन पहले लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दी थी।
इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था।
दोनों सदनों से पास हुआ बिल
पीएम मोदी ने इस बिल पर कहा था- द प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025, जो संसद के दोनों सदनों से पास हुआ है, भारत को गेमिंग, इनोवेशन और क्रिएटिविटी का हब बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है।
ये ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को बढ़ावा देगा।
साथ ही, ये हमारे समाज को ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स के नुकसानदायक प्रभावों से बचाएगा।

नए कानून की मुख्य बातें और प्रभाव
सरकार के इस नए ऑनलाइन गेमिंग कानून की कुछ अहम बातें इस प्रकार हैं:
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पूर्ण प्रतिबंध: अब कोई भी कंपनी रियल-मनी वाले ऑनलाइन गेम (चाहे वह स्किल बेस्ड हो या चांस बेस्ड) नहीं चला सकती, न ही उसका विज्ञापन कर सकती है। हालाँकि, इन गेम्स को खेलने वाले यूजर्स को सजा का प्रावधान नहीं है।
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सख्त सजा: नियम तोड़ने वाली कंपनियों के खिलाफ 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। विज्ञापन देने वालों को भी 2 साल की जेल और 50 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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नई रेगुलेटरी अथॉरिटी: गेमिंग इंडस्ट्री को नियंत्रित करने और यह तय करने के लिए कि कौन सा गेम वैध है, एक नई संस्था बनाई जाएगी।
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ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: पबजी, फ्री फायर जैसे बिना पैसे लगाए खेले जाने वाले ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को प्रोत्साहित किया जाएगा।

ऑनलाइन गेम्स से हो रहा नुकसान
सरकार का मानना है कि पैसे वाले ऑनलाइन गेम्स से लोगों को गंभीर आर्थिक और मानसिक नुकसान हो रहा था।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया था कि अनुमानित 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हुए हैं और मध्यमवर्गीय परिवारों का लगभग 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं थीं।
ड्रीम-11 जैसी कंपनियों के लिए यह एक बड़ा झटका है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी की 67% कमाई इसी रियल-मनी सेगमेंट से होती थी।
कंपनी के CEO हर्ष जैन ने अपने कर्मचारियों को बताया कि अब इस बिजनेस को जारी रखने का कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा है, इसलिए कंपनी अब अपने गैर-रियल-मनी गेमिंग प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करेगी।