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दुर्घटना या लापरवाही, कुबेरेश्वर धाम में 7 मौतों का जिम्मेदार कौन? जानिए क्या बोले पंडित प्रदीप मिश्रा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Pradeep Mishra Reaction On 7 Death: मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का कुबेरेश्वर धाम इन दिनों सुर्खियों में है।

वैसे तो ये जगह धार्मिक आस्था का केंद्र है जहां दूर-दूर से लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं लेकिन इस बार इसकी चर्चा श्रद्धालुओं की लगातार हो रही मौत की वजह से हो रही है।

दरअसल, पिछले 3 दिनों में कांवड़ यात्रा और रुद्राक्ष वितरण के दौरान हुई भगदड़ और अन्य कारणों से सात श्रद्धालुओं की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है।

इसी बीच दुखद घटना पर पंडित प्रदीप मिश्रा की पहली प्रतिक्रिया भी सामने आई। जिसमें उन्होंने दुख जताते हुए कहा,

“ये सभी शिव परिवार के सदस्य हैं, और उनकी मृत्यु से मेरा अंतर्मन बहुत दुखी है। कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ लोगों को सेहत में परेशानी हुई थी, इस कारण उनके प्राण चले गए।कुबरेश्वर धाम बहनों का मायका है, इसलिए मैं आपको दीदी और जीजा जी कहता हूं।

मेरी बहनों के प्राण गए, इसका मुझे बहुत दुख है। हम कथा में कहते हैं कि बीमार हैं तो यहां नहीं आएं। यदि आपको किसी भी प्रकार का कष्ट है तो आपका यह परिवार, समिति हमेशा आपके साथ खड़ा है।”

इस घटना ने न केवल प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पंडित प्रदीप मिश्रा के आयोजनों पर भी उंगली उठ रही है।

जिसके बाद सत्ताधारी दल भाजपा से लेकर कांग्रेस के विधायकों ने इस तरह के आयोजन पर सवाल उठाए हैं। सरकार ने मौतों की जांच कराने की बात कही है।

आइए, जानते हैं कैसे हुई श्रद्धालुओं की मौत और क्यों ये मामला सुर्खियों में आया…

क्या हुआ कुबेरेश्वर धाम में?

कुबेरेश्वर धाम में हर साल की तरह इस बार भी कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया था।

बुधवार को पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर की सीवन नदी से कुबेरेश्वर धाम तक 11 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा निकाली, जिसमें दो लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

इससे पहले मंगलवार को कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष वितरण के समय भगदड़ मच गई, जिसमें दो महिलाओं जसवंती बेन (56, राजकोट, गुजरात) और संगीता गुप्ता (48, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश) की मौत हो गई।

इसके बाद बुधवार और गुरुवार को अलग-अलग कारणों से पांच और श्रद्धालुओं की जान चली गई।

इनमें से कुछ की मौत हार्ट अटैक से हुई, तो कुछ की तबीयत अचानक बिगड़ने से।

यहां जानिए मृतकों और घायलों के बारे में…

मंगलवार की भगदड़ में मृतक:

  • जसवंती बेन (56 वर्ष), राजकोट, गुजरात
  • संगीता गुप्ता (48 वर्ष), फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश

बुधवार को मृतक:

  • चतुर सिंह (50 वर्ष), गुजरात: आनंद होटल के पास अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत।
  • ईश्वर सिंह (65 वर्ष), रोहतक, हरियाणा: कुबेरेश्वर धाम में चक्कर आने से गिरने के बाद निधन।
  • दिलीप सिंह (57 वर्ष), रायपुर, छत्तीसगढ़: हार्ट अटैक से जिला अस्पताल में मृत्यु।

गुरुवार को मृतक:

  • उपेंद्र गुप्ता (22 वर्ष), गोरखपुर, उत्तर प्रदेश: हार्ट अटैक से निधन।
  • अनिल (40 वर्ष), खेड़ा कला, दिल्ली: हार्ट अटैक से मृत्यु।

घायल श्रद्धालु:

  • सुनीता (हरियाणा): भोपाल-इंदौर हाईवे पर कांवड़ ले जाते समय गिरने से घायल।
  • पूजा सैनी (मथुरा): कुबेरेश्वर धाम में गिरने से चोटिल।
  • मनीषा (नागपुर): अचानक बेहोश होने के बाद अस्पताल में भर्ती।

प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रिया

इस दुखद घटना के बाद मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया और सीहोर के कलेक्टर व एसपी से जवाब मांगा है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

घायलों के इलाज के लिए अस्पतालों में समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह व्यवस्था पहले से होनी चाहिए थी?

बीजेपी और कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया…

पूर्व बीजेपी मंत्री कुसुम महदेले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पंडित प्रदीप मिश्रा को आड़े हाथों लिया।

उन्होंने लिखा, “प्रदीप मिश्रा जी, क्यों इतने हादसे करवा रहे हो? धर्म के नाम पर उन्माद फैलाना बंद करो। रुद्राक्ष बांटने से पुण्य नहीं, हादसे हो रहे हैं। इसे बंद करें।”

उन्होंने सरकार से भी मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वहीं, कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा, “इतने बड़े आयोजन के लिए प्रशासन को पहले से तैयारी करनी चाहिए थी। भीड़ को नियंत्रित करने का कोई प्लान नहीं था। सरकार को इस घटना पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”

पहले भी हो चुके हैं हादसे

यह पहली बार नहीं है जब कुबेरेश्वर धाम में इस तरह की घटना हुई हो। साल 2023 में भी रुद्राक्ष वितरण के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति में तीन लोगों की मौत हो चुकी है।

उस समय भी प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठे थे, लेकिन इस बार फिर वही गलतियां दोहराई गईं।

भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा इंतजामों की कमी ने एक बार फिर सवालों को जन्म दिया है।

पंडित प्रदीप मिश्रा पर क्यों उठ रहे सवाल?

पंडित प्रदीप मिश्रा एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं, जिनके आयोजनों में लाखों लोग शामिल होते हैं।

उनकी कथाएं और रुद्राक्ष वितरण का कार्यक्रम श्रद्धालुओं के बीच खासा लोकप्रिय है। लेकिन इन आयोजनों में बार-बार हो रही भगदड़ और हादसों ने उनके प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कई लोगों का मानना है कि रुद्राक्ष वितरण जैसे कार्यक्रमों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पहले से बेहतर इंतजाम किए जाने चाहिए।

क्या हो सकता है समाधान?

यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है।

धार्मिक आयोजनों में लाखों लोग शामिल होते हैं, और यह आयोजकों और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

कुछ कदम जो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं:

  • बेहतर भीड़ प्रबंधन: आयोजन स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस और स्वयंसेवकों की तैनाती होनी चाहिए।
  • स्वास्थ्य सुविधाएं: बड़े आयोजनों में तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए मेडिकल कैंप और एम्बुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • पूर्व नियोजन: आयोजकों को प्रशासन के साथ मिलकर पहले से योजना बनानी चाहिए, ताकि भीड़ को व्यवस्थित रूप से संभाला जा सके।
  • रुद्राक्ष वितरण पर नियंत्रण: रुद्राक्ष वितरण जैसे कार्यक्रमों को सीमित संख्या में या ऑनलाइन पंजीकरण के आधार पर किया जा सकता है।

कुबेरेश्वर धाम की इस घटना ने एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर किया है कि आस्था और भक्ति के नाम पर होने वाले आयोजनों में सुरक्षा को प्राथमिकता देना कितना जरूरी है।

अब समय है कि वह और प्रशासन मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।

आस्था का सम्मान करते हुए हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धालुओं की जान सुरक्षित रहे।

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