Chaturmas 2025: हिंदू धर्म में चातुर्मास (चार महीने) का विशेष महत्व है। यह अवधि आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देव शयनी एकादशी) से कार्तिक शुक्ल एकादशी (देव उठनी एकादशी) तक चलती है।
मान्यता है कि इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं।
इस साल चातुर्मास 6 जुलाई से प्रारंभ होकर 1 नवंबर 2025 तक चलेगा।
लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर भगवान विष्णु हर साल 4 महीने के लिए योगनिद्रा में क्यों जाते हैं और इसकी वजह क्या है?
अगर नहीं तो यहां मिलेंगे आपको इन सवालों के जवाब…
माता लक्ष्मी से जुड़ी पौराणिक कथा:
एक बार माता लक्ष्मी ने विष्णु जी से कहा— “प्रभु, आप या तो सदैव जागते रहते हैं या फिर लाखों वर्षों तक सो जाते हैं।
कृपया प्रतिवर्ष कुछ समय के लिए विश्राम करें, ताकि मुझे भी अवकाश मिल सके।”
भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी की बात मानकर प्रतिवर्ष 4 महीने की निद्रा लेने का निर्णय लिया।
इससे देवताओं को भी विश्राम मिलता है और भक्तों के लिए यह अवधि पुण्य कमाने का समय बन जाती है।
क्या होता है जब विष्णु जी सोते हैं? कौन संभालता है ब्रह्मांड?
जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं, तो सृष्टि का भार भगवान शिव संभालते हैं।
पुराणों के अनुसार, चातुर्मास में शिवजी, मां दुर्गा और भगवान गणेश जगत की रक्षा करते हैं।
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सावन मास: भगवान शिव की पूजा की जाती है।
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भाद्रपद मास: गणेश जी की आराधना होती है।
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आश्विन मास: मां दुर्गा की पूजा का समय होता है।
इस प्रकार, यह चार महीने धार्मिक अनुष्ठानों और व्रत-उपवास के लिए विशेष माने जाते हैं।
राजा बलि से जुड़ी कथा और पाताल लोक का वास
एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी, तो उन्होंने दो पग में ही आकाश-पृथ्वी नाप ली। तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखा गया।
प्रसन्न होकर विष्णु जी ने उन्हें पाताल लोक का स्वामी बना दिया और स्वयं उनके साथ रहने का वचन दिया।
जब माता लक्ष्मी ने विष्णु जी को वापस लाने का प्रयास किया, तो समझौता हुआ कि वे साल के 4 महीने (चतुरमास) पाताल में और शेष समय क्षीर सागर में रहेंगे।
इसीलिए देव शयनी एकादशी पर विष्णु जी पाताल जाते हैं और देव उठनी एकादशी पर लौटते हैं।
चातुर्मास 2025 का धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व है। यह समय भक्ति, तप और संयम का होता है।
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