Dhirendra Shastri Etawah Controversy: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इटावा कांड पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भागवत कथा किसी जाति विशेष की बपौती नहीं है।
उन्होंने इस घटना को निंदनीय बताते हुए कहा कि अगर किसी कथावाचक से गलती हुई थी, तो कानून का सहारा लेना चाहिए था, न कि हिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए।
27 जून को मुंबई में मीडिया से बात करते हुए शास्त्री ने कहा, “ऐसा व्यवहार समाज में विद्रोह की स्थिति पैदा करता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “भगवान का नाम लेने का अधिकार सभी को है, चाहे वह किसी भी जाति या समुदाय से हो।”
क्या है इटावा कांड?
22 जून को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गांव में एक विवादित घटना घटी।
यहाँ एक गैर-ब्राह्मण कथावाचक मुकुट मणि सिंह (यादव समुदाय से) और उनके साथियों पर ब्राह्मण समुदाय के कुछ लोगों ने हमला कर दिया।

घटना की मुख्य बातें:
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कथावाचक से पहले जाति पूछी गई।
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जब उन्होंने यादव समुदाय से होने की बात कही, तो उन पर दलित होने का आरोप लगाया गया।
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उनकी चोटी काट दी गई, सिर मुंडवा दिया गया और एक महिला से नाक रगड़वाई गई।
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उनके साथियों की पिटाई की गई और हारमोनियम तोड़ दिया गया।
इस मामले में 4 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है।
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धीरेंद्र शास्त्री ने जातिवाद पर कड़ा प्रहार किया
धीरेंद्र शास्त्री ने इस मामले पर संत कबीर, रविदास, सूरदास और मीराबाई का उदाहरण देते हुए कहा कि “भगवान की भक्ति में जाति नहीं देखी जाती।” उन्होंने कबीर का दोहा सुनाते हुए कहा:
“जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ी रहने दो म्यान।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि “भागवत कथा, सत्संग और सनातन धर्म का प्रचार किसी एक जाति तक सीमित नहीं है।”

“नेता जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं” – धीरेंद्र शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री ने राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि “कुछ नेता जातिवाद के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि “भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की ओर बढ़ना होगा।”
इस उद्देश्य के लिए उन्होंने 7 से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक एक पदयात्रा निकालने की घोषणा की।
यह यात्रा जातिवाद और ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने का प्रयास होगी।

उमा भारती ने कहा – “ब्राह्मणों ने कभी विरोध नहीं किया”
इस मामले पर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “हमारे देश में भागवत कथा को लेकर कोई विवाद नहीं है।” उन्होंने कहा:
“सबसे बड़े कथावाचक मुरारी बापू ब्राह्मण नहीं हैं, फिर भी ब्राह्मणों ने कभी आपत्ति नहीं की।”
जातिवाद से ऊपर उठकर धर्म की राह पर चलने की जरूरत
इटावा कांड ने एक बार फिर समाज में जातिगत विद्वेष की समस्या को उजागर किया है।
धीरेंद्र शास्त्री और उमा भारती जैसे धार्मिक नेताओं ने सनातन धर्म की सर्वसमावेशकता पर जोर दिया है।
अब यह समाज और सरकार की जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए।
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