Shubhanshu Shukla: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून को Axiom-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी।
वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और ISRO के गगनयान मिशन के चयनित सदस्य शुक्ला ने रूस-अमेरिका में प्रशिक्षण लेकर इतिहास रचा।
वह इस मिशन पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं और गगनयान मिशन के लिए भी चुने गए हैं।
उनकी यह उपलब्धि भारत के लिए गर्व का क्षण है।
यह मिशन भारत-अमेरिका सहयोग का हिस्सा है और गगनयान के लिए महत्वपूर्ण अनुभव साबित होगा।

जानिए शुभांशु शुक्ला और उनके मिशन के बारे में सब कुछ…
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- जन्म: 1986, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
- शिक्षा: NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) से ग्रेजुएशन
- सैन्य करियर: 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए, फाइटर जेट पायलट के रूप में अनुभव
- पत्नी: डॉ. कामना मिश्रा (डेंटिस्ट, स्कूली दोस्त से पत्नी बनीं
अंतरिक्ष यात्री बनने की यात्रा
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ISRO के गगनयान मिशन के लिए चयनित
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रूस और अमेरिका में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया
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माइक्रोग्रैविटी, इमरजेंसी हैंडलिंग, वैज्ञानिक प्रयोगों में महारत हासिल की
भारत के सबसे युवा अंतरिक्ष यात्री
39 साल के Shubhanshu Shukla भारत के सबसे युवा अंतरिक्ष यात्री हैं।
कैप्टन शुक्ला की मिशन कमांडर डॉ. पेगी व्हिटसन, जो अमेरिका से हैं, ने उन्हें ‘Evil Genius’ कहा था।
क्रू ने उनकी असाधारण स्मृति और सीखने और समस्याओं को हल करने की क्षमता की प्रशंसा की।

Axiom-4 मिशन: भारत के लिए ऐतिहासिक पल
मिशन की खास बातें
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लॉन्च तिथि: 25 जून (कई बार स्थगित होने के बाद)
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अवधि: 14 दिन ISS पर
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साथी यात्री: 3 अन्य अंतरिक्ष यात्री
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उद्देश्य: वैज्ञानिक शोध, भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारी
शुभांशु का संदेश- ‘एक अरब दिलों की आशाएं और सपने भी लेकर जा रहा हूं’
शुभांशु शुक्ला ने कहा कि
‘जोश बहुत अधिक है, मैं आईएसएस पर 14 दिन बिताने की तैयारी कर रहा हूं, मैं अपने साथ न केवल उपकरण और उपकरण, बल्कि एक अरब दिलों की आशाएं और सपने भी लेकर जा रहा हूं।’
यह मेरे लिए एक लंबी यात्रा रही है, मैं कहूंगा कि मैं बहुत भाग्यशाली रहा हूं कि मुझे पहले अपने पूरे जीवन में उड़ान भरने के अवसर मिले, जो मेरे लिए एक सपनों की नौकरी थी,
फिर अंतरिक्ष यात्री कोर के लिए आवेदन करने का अवसर मिला और अब मैं स्पेस मिशन पर जा रहा हूं।’
पत्नी का सहयोग
शुभांशु शुक्ला की इस कामयाबी के पीछे उनकी पत्नी डॉक्टर कामना मिश्रा का बड़ा हाथा है।
वह पेशे से डेंटिस्ट हैं। वह और शुभांशु स्कूल के समय के दोस्त हैं।
उनका दोस्ती का रिश्ता प्यार में बदला और फिर उन्होंने शादी कर ली।

परिवार की प्रतिक्रिया
Axiom-4 मिशन पर जा रहे अंतरिक्ष यात्री कैप्टन शुभांशु शुक्ला के परिवार में खुशी का माहौल है।
लखनऊ में रह रहे घरवालों ने अपने बेटे की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की और कहा कि हमें अपने बेटे पर नाज है, उसकी वजह से आज हमारा सीना गर्व से चौड़ा है।
यह मिशन जरूर पूरा होगा: पिता
पिता ने बताया, मेरी शुभांशु से बात हुई। वह अपने मिशन को लेकर पूरी तरह से कॉन्फिडेंट हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि उनका यह मिशन जरूर पूरा होगा। वह पूरी तरह से तैयार हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि उनका मिशन जरूर पूरा होगा। उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।
#WATCH | Lucknow, Uttar Pradesh: Group Captain Shubhanshu Shukla’s father, Shambhu Dayal Shukla, says, “We are happy.”
Mother Asha Shukla says, “Everyone is happy. These are tears of joy…”#AxiomMission4 pic.twitter.com/bFB81gL4ki
— ANI (@ANI) June 25, 2025
इस पल का बेसब्री से इंतजार था: मां
वहीं, शुभांशु शुक्ला की मां बताती हैं कि आज मैं बहुत खुश हैं। मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं। इस पल का हम सभी को बेसब्री से इंतजार था। मेरे बच्चे के उड़ान भरने का समय आ चुका है।
सभी लोग मेरे बच्चे को शुभकामनाएं दे रहे हैं। मां ने बेटे की कामयाबी के पीछे बहू कामना मिश्रा का बड़ा हाथ बताया। उन्होंने कहा कि बहू ने हर समय बेटे का मनोबल ऊंचा रखा।
#WATCH | Lucknow, Uttar Pradesh: Mother of IAF Group Captain & astronaut #ShubhanshuShukla, Asha Shukla, gets emotional as she cheers for her son, who is part of the #AxiomMission4 pic.twitter.com/MMEaTnihr5
— TIMES NOW (@TimesNow) June 25, 2025
41 साल बाद चमका भारत का सितारा
शुभांशु शुक्ला विंग कमांडर राकेश शर्मा द्वारा 1984 में इतिहास रचने के लगभग चार दशक बाद अंतरिक्ष में जाने वाले देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं। इसके अलावा
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गगनयान मिशन की तैयारी: ISRO के मानव अंतरिक्ष अभियान के लिए अनुभव प्राप्त करना
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भारत-अमेरिका सहयोग: रूस के बजाय NASA के साथ मिशन
- पहला भारतीय जो ISS पर जाएगा

मिशन में क्या खास होगा?
शुभांशु के साथ इस मिशन में डॉ. पेगी व्हिटसन (NASA, मिशन कमांडर), स्लावोज उज़्नान्स्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) है।
शुभांशु अतरिक्ष में अपने साथ आम का रस, गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और भारत का झंडा लेकर गए हैं।
वैज्ञानिक प्रयोग:
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माइक्रोग्रैविटी में मानव कोशिकाओं का अध्ययन
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अंतरिक्ष में पौधों का विकास
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नई स्पेस टेक्नोलॉजी का परीक्षण

क्यों 6 बार टला मिशन?
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29 मई: ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट तैयार नहीं
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8 जून: फाल्कन-9 रॉकेट में तकनीकी खराबी
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10 जून: खराब मौसम
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11 जून: ऑक्सीजन लीकेज
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19 जून: क्रू सदस्यों के स्वास्थ्य की जाँच
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22 जून: ISS के ज्वेज्दा मॉड्यूल का मूल्यांकन
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न सिर्फ भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी है।
उनकी सफलता से गगनयान मिशन को भी बल मिलेगा। पूरा देश उनकी सुरक्षित वापसी की कामना कर रहा है!
“सितारों तक पहुँचने का सफर अब भारत के हाथों में!” 🚀🇮🇳
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