Trump Asim Munir Meeting: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार 18 जून को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में एक गोपनीय मुलाकात की।
इस दौरान मुनीर ने ट्रम्प को भारत-पाकिस्तान संघर्ष रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की, जिसके बाद यह बैठक सुर्खियों में आ गई।
दूसरी तरफ भारत ने आसिम मुनीर को पहलगाम आतंकी हमले (2025) का जिम्मेदार ठहराया था।
ऐसे में ट्रम्प का उनसे मिलना विवादों में घिर गया।
क्या हुआ ट्रम्प और आसिम मुनीर की मुलाकात में?
बुधवार को व्हाइट हाउस में हुई इस मुलाकात के दौरान ट्रम्प और मुनीर ने कैबिनेट रूम में लंच किया।
यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख की मेजबानी की।
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ट्रम्प ने मुनीर की तारीफ की:
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “इस व्यक्ति (मुनीर) ने पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष रोकने में बड़ा योगदान दिया।” -
ईरान-इजराइल मुद्दे पर भी चर्चा:
दोनों नेताओं ने मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव पर भी बातचीत की।

मुनीर ने की ट्रम्प को नोबेल पुरस्कार देने की मांग
मुनीर ने इससे पहले ट्रम्प को भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की थी।
उनका दावा था कि ट्रम्प ने मई में दोनों देशों के बीच युद्ध रोकने में मदद की।
हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया है।
क्या ट्रम्प ने वाकई भारत-पाक युद्ध रोका?
इससे पहले आज सुबह ट्रम्प ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध रोकने में मदद की।
उन्होंने कहा, “मैंने युद्ध रोका, मैं पाकिस्तान से प्यार करता हूं।लेकिन किसी ने इसके बारे में खबर तक नहीं लिखी।”
हालांकि, भारत ने हमेशा कहा है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता।

मुनीर के खिलाफ अमेरिका में विरोध प्रदर्शन
मुनीर ने वाशिंगटन में पाकिस्तानी समुदाय को संबोधित किया, जहां उन्हें “तानाशाह” और “कातिल” जैसे नारों का सामना करना पड़ा।
कई अमेरिकी-पाकिस्तानी नागरिकों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की।
PM मोदी ने ट्रम्प को फोन पर क्या कहा?
बीते रोज ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प से 35 मिनट तक फोन पर बात की।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, मोदी ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर बिना किसी बाहरी मध्यस्थता के हुआ था।
मोदी ने यह भी कहा कि भारत आतंकवादी घटनाओं को अब “प्रॉक्सी वॉर” नहीं, बल्कि सीधे युद्ध की तरह देखेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने पाकिस्तान में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था और यह कार्रवाई नपी-तुली और सटीक थी।

विश्लेषकों की राय: क्या ट्रम्प ने पाकिस्तानी सेना को मान्यता दे दी?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प का यह बयान उनकी राजनीतिक छवि को मजबूत करने के लिए हो सकता है।
किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर हर्ष वी. पंत का कहना है कि ट्रम्प ने मुनीर से मुलाकात करके पाकिस्तानी सेना को वैश्विक मान्यता दे दी है।
उन्होंने कहा कि यह मुलाकात सिर्फ इजराइल-ईरान मुद्दे पर नहीं, बल्कि अमेरिकी सैन्य अड्डों और व्यापारिक हितों से भी जुड़ी हो सकती है।
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ट्रम्प और मुनीर की मुलाकात ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में अमेरिकी भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।
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भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता।
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ट्रम्प के दावों के बावजूद, भारत का रुख स्पष्ट है: आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस।
क्या भारत के लिए यह चिंता का विषय है?
इस घटना से स्पष्ट है कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ रणनीतिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा।