Bhopal 90 degree bridge: भोपाल के ऐशबाग इलाके में बने विवादास्पद 90 डिग्री मोड़ वाले रेलवे ओवरब्रिज (ROB) को फिर से डिजाइन किया जाएगा।
पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) के अधिकारियों ने बताया कि रेलवे के साथ मिलकर इस ब्रिज के टर्निंग पॉइंट को सुरक्षित बनाने का निर्णय लिया गया है।
इस ब्रिज की अजीबोगरीब डिजाइन ने इसे पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया है, जिसके कारण सोशल मीडिया पर इसके मीम्स भी बनाए जा रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह ब्रिज मई 2022 में बनना शुरू हुआ था और इसे 18 महीने में पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हुआ है।
648 मीटर लंबे और 8 मीटर चौड़े इस ब्रिज का 70 मीटर का हिस्सा रेलवे के अधीन है।
इसकी कुल लागत 18 करोड़ रुपये है।

क्या है बिज्र की मुख्य समस्या
ब्रिज की सबसे बड़ी समस्या है इसका 90 डिग्री का तीखा मोड़।
अगर इस पर कोई वाहन 35-40 किमी/घंटा से अधिक स्पीड से चलता है, तो उसके ट्रैक से उतरने या दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा है।
सोशल मीडिया पर बना मजाक
इस ब्रिज की डिजाइन को लेकर सोशल मीडिया पर काफी मजाक बना है।
लोगों ने इसे “भोपाल का रोलर कोस्टर” और “गाड़ियों के लिए अल्टीमेट चैलेंज” जैसे नाम दिए हैं।
कई यूजर्स ने मीम्स बनाकर इसकी तुलना वीडियो गेम्स के मुश्किल लेवल्स से की है।


एनएचएआई की रिपोर्ट और सुझाव
पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने इस मामले की जांच के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को निर्देश दिए थे।
एनएचएआई की टीम ने निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि:
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वाहनों की गति 35-40 किमी/घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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मोड़ पर तो गति 30 किमी/घंटा तक सीमित करनी होगी।
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स्पीड कंट्रोल के लिए विशेष उपाय करने होंगे।
क्या होंगे सुरक्षा उपाय?
एनएचएआई और ट्रैफिक विशेषज्ञों ने ब्रिज को सुरक्षित बनाने के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं:
- स्पीड ब्रेकर्स और चेतावनी बोर्ड – ब्रिज पर स्पीड लिमिट के संकेत लगाए जाएंगे।
- सुपर एलिवेशन – ब्रिज के अंदर की तरफ झुकाव बढ़ाया जाएगा ताकि गाड़ियां सुरक्षित मोड़ ले सकें।
- रोड मार्किंग्स – ट्रांसवर्स बार मार्किंग और ब्लैक-व्हाइट स्ट्रिप्स पेंट की जाएंगी।
- बेहतर लाइटिंग – रात में दृश्यता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त लाइट्स लगाई जाएंगी।
- डेलिनेटर्स – गाड़ियों को सही दिशा में मोड़ने के लिए डेलिनेटर्स लगाए जाएंगे।

क्यों बनाया गया ऐसा ब्रिज?
PWD के इंजीनियरों का कहना है कि इस स्थान पर जगह की कमी के कारण ब्रिज का मोड़ इतना तीखा बनाना पड़ा।
एक तरफ मेट्रो ट्रैक है, दूसरी तरफ रेलवे लाइन और तीसरी तरफ बड़ी इमारतें होने के कारण कोई अन्य विकल्प नहीं था।
क्या होगा आगे?
अब इस ब्रिज के मोड़ वाले हिस्से को फिर से डिजाइन किया जाएगा ताकि दुर्घटनाओं का खतरा कम हो सके।
साथ ही, इस गलत डिजाइन के लिए जिम्मेदार इंजीनियरों पर कार्रवाई की जाएगी।