Pahalgam Attack Response: पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है।
27 बेगुनाह लोगों की हत्या का जवाब भारत ने आक्रामक तेवर के साथ दिया है।
अटारी बॉर्डर सील, पाक नागरिकों का वीजा रद्द, सिंधु जल समझौता स्थागित करने जैसे बड़े फैसले लिए जा चुके हैं।
वहीं, गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
यह केवल एक मुलाकात नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में एक अहम मोड़ की शुरुआत मानी जा रही है।
एक ‘सीक्रेट’ लाल रंग की फाइल राष्ट्रपति भवन पहुंचा दी गई है और इस बात से पाकिस्तान में खलबली मच गई है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर उस लाल फाइल में क्या है?
क्या उस फाइल में पाकिस्तान को लेकर भारत की अब तक की सबसे आक्रामक रणनीति दर्ज है?
क्या ये पाकिस्तान के बर्बादी की पटकथा है, जो अब आधिकारिक मुहर के लिए राष्ट्रपति के पास पहुंची?
राष्ट्रपति से आखिर क्या साइन करवाया गया? क्या भारत युद्ध की ओर बढ़ रहा है? आइए समझते हैं –
भारत ने कर ली है मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर ली है।
विदेश मंत्रालय से लेकर खुफिया एजेंसियां, सब पाकिस्तान को घेरने की तैयारी में हैं।
वहीं अबएक लाल फाइल राष्ट्रपति के हाथ में है, जो संकेत दे रही है कि कुछ बड़ा होने वाला है।
भारत का संविधान राष्ट्रपति को भारतीय सशस्त्र बलों – थल सेना, वायु सेना और नौसेना का संविधानिक सर्वोच्च कमांडर बनाता है।
हालांकि वास्तविक संचालन प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के नेतृत्व में होता है।
लेकिन, किसी भी सैन्य कार्रवाई, युद्ध की घोषणा या विशेष सैन्य ऑपरेशन को शुरू करने के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति अनिवार्य होती है।
इससे कहा जा सकता है कि यह केवल एक औपचारिक हस्ताक्षर नहीं होता।
बल्कि यह संदेश हो सकता है कि अब फैसला देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद से पारित हो चुका है।
लाल फाइल में क्या हो सकता है?
यह फाइल संभावित रूप से निम्नलिखित दस्तावेजों और योजनाओं को समेटे हो सकती है:
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सीमापार सैन्य कार्रवाई की अनुमति – पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक।
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राजनयिक प्रतिबंधों और संपर्कों में कटौती – सार्क, द्विपक्षीय वार्ताएं, और वीजा नीति से जुड़े निर्णय।
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विशेष सैन्य संचालन की योजना – जैसे की ऑपरेशन बालाकोट जैसा टारगेटेड अटैक।
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युद्ध की स्थिति में संवैधानिक और सुरक्षा प्रावधानों का प्रारूप।
राष्ट्रपति से साइन करवाई गई स्वीकृति न केवल इन निर्णयों को कानूनी वैधता देती है।
बल्कि यह सशस्त्र बलों को खुली छूट देने जैसा भी है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी हद तक जा सकते हैं।
युद्ध की संभावना: संकेत क्या कह रहे हैं?
भारत ने जिस तरह से ताबड़तोड़ कदम उठाए हैं – अटारी सीमा बंद करना, सार्क वीजा छूट योजना रद्द करना, सिंधु जल समझौता खत्म करना और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरना ये सभी युद्ध-पूर्व रणनीतियों का हिस्सा माने जाते हैं।
इतिहास गवाह है कि जब-जब भारत ने सीमापार ऑपरेशन की योजना बनाई है, राष्ट्रपति की स्वीकृति और उच्चस्तरीय सुरक्षा समिति की बैठकें इसका पूर्व संकेत बनी हैं।
2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना भी इसी पैटर्न पर बनी थी।
चुप हैं राष्ट्रपति, मगर संदेश साफ है, दुश्मन नहीं बचेगा !
राष्ट्रपति भवन से केवल एक तस्वीर और संक्षिप्त बयान आया कि गृह मंत्री और विदेश मंत्री ने मुलाकात की, लेकिन कोई बयान नहीं, कोई स्पष्टीकरण नहीं।
ऐसे संवेदनशील समय में राष्ट्रपति की चुप्पी स्वयं एक बहुत बड़ा संदेश देती है कि देश के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद से आंतरिक रूप से सहमति मिल चुकी है।
भारत का रुख साफ है, युद्ध तो तय है !
पहलगाम हमले को लेकर पार्लियामेंट एनेक्सी बिल्डिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक 2 घंटे चली।
गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेता इसमें शामिल हुए।
देश के लोगों में गुस्सा है और मांग की जा रही है कि इस बार पाकिस्तान को निर्णायक सबक सिखाया जाए।
हालांकि युद्ध कोई एकतरफा फैसला नहीं होता है।
लेकिन, भारत का रुख साफ है अगर पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है, तो भारत अब जवाब केवल शब्दों से नहीं बल्कि कार्रवाई से देगा।